अपनी ही बोयी फसल काट रहे हैं लालू यादव, बेटों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता पहुंची चरम पर

By विकास कुमार | Published: December 24, 2018 04:27 PM2018-12-24T16:27:50+5:302018-12-24T16:27:50+5:30

तेजप्रताप ने एलान किया है कि वो इस रैली में तेजस्वी यादव को भी आमंत्रित करेंगे। इसके अलावा अब तेजप्रताप जनता दरबार भी लगायेंगे। पार्टी के बड़े फैसलों में तेजप्रताप की मौजूदगी नहीं के बराबर है, ऐसे में आने वाले दिनों में दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अप्रत्याशित रूप से बढ़ सकती है।

Tej pratap yadav have announced rally in gandhi maidan, invited also tejaswi yadav | अपनी ही बोयी फसल काट रहे हैं लालू यादव, बेटों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता पहुंची चरम पर

अपनी ही बोयी फसल काट रहे हैं लालू यादव, बेटों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता पहुंची चरम पर

बिहार की सियासत में सबसे लंबे समय तक सबसे शक्तिशाली परिवार का तमगा रखने वाले लालू यादव के घर में बीते कुछ महीनों से उथल-पुथल मचा हुआ है। खुद लालू यादव चारा घोटाले में सजा काट रहे हैं और रेलवे टेंडर घोटाले में भी जांच जारी है। ईडी ने इस मामले में लालू परिवार के कई सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिसमें तेजस्वी यादव का भी नाम है। इसके अलावा लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के पारिवारिक जीवन में तूफान आया हुआ है। अपनी पत्नी को तलाक देने के मांग पर आज भी अडिग हैं और अब राजद का नेतृत्व संभालने के लिए गांधी मैदान में बड़ी रैली करने जा रहे हैं। 

तेजप्रताप की ललकार 

तेजप्रताप यादव इस रैली में आने वाले दिनों में विपक्ष को निशाने पर रखने के बहाने अपने भाई को ललकारने वाले हैं। लालू यादव के बाद तेजप्रताप खुद को उनका नेचुरल उतराधिकारी समझते हैं। लेकिन तेजस्वी यादव की वाक्पटुता और उनकी नेतृत्व क्षमता के आगे तेजप्रताप असहाय महसूस करते हैं। भाइयों में पार्टी पर वर्चस्व को लेकर जो खींचतान चल रही है, उसका असर पार्टी की कार्यप्रणाली पर भी देखने को मिला है। पार्टी में आज भी दो धड़े प्रत्यक्ष रूप से देखने को नहीं मिलता है क्योंकि तेजप्रताप का गुट तेजस्वी के सामने बहुत कमजोर स्थिति में है। ऐसा भी कह सकते हैं कि तेजप्रताप को पार्टी के भीतर कम लोगों का समर्थन प्राप्त है, इसके मुकाबले वो अपने दोस्तों से ज्यादा घिरे रहते हैं।

लालू यादव ने 1990 में बिहार की सत्ता संभालने के बाद अपने खास लोगों को तरजीह देना शुरू किया। लेकिन उन खास लोगों में भी सबसे खास इनके साले साधू यादव थे, जिन्होंने सत्ता के इर्द-गिर्द अपने राजनीतिक संबंधों की आड़ में व्यापार का एक पूरा नेटवर्क विकसित किया। बाद में इनका भी नाम बाढ़ घोटाले में आया। अपहरण उद्योग का जिम्मा लालू के खास शहाबुद्दीन ने संभाला, जिसका प्रसाद अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक बंटता था। साले से लेकर बेटों तक लालू यादव की राजनीति में उनके घरवालों का जितना दखल रहा, ऐसा किसी और क्षेत्रीय नेता के यहां देखने को नहीं मिलता है। 

लालू का परिवारवाद 

लालू यादव जब चारा घोटाले में पहली बार जेल गए तो उन्होंने अपनी अनपढ़ पत्नी को राज्य का कमान सौंपना उचित समझा। इस फैसले ने लोगों को हैरान कर दिया था। अपने परिवार को सत्ता कि मलाई का स्वाद चखाना एक दिन उनके परिवार में फूट डाल देगा, इसका अंदाजा शायद लालू यादव को भी नहीं था। अपने सालों को तो उन्होंने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया लेकिन अपने बेटों को समझाना उनके बस में नहीं दिख रहा है। इसी चिंता में लालू की तबीयत बिगड़ती जा रही है। 

दोनों भाई अब आमने-सामने होंगे। तेजप्रताप ने एलान किया है कि वो इस रैली में तेजस्वी यादव को भी आमंत्रित करेंगे। इसके अलावा अब तेजप्रताप जनता दरबार भी लगायेंगे। पार्टी के बड़े फैसलों में तेजप्रताप की मौजूदगी नहीं के बराबर है, ऐसे में आने वाले दिनों में दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अप्रत्याशित रूप से बढ़ सकती है। 

Web Title: Tej pratap yadav have announced rally in gandhi maidan, invited also tejaswi yadav

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