रांची: महात्मा गांधी यानि बापू के साथ आजादी से पूर्व कई आंदोलनों में भाग लिए झारखंड के टाना भगत आज अपने ही हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं. छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम 1947 धारा 145 टेनेंसी एक्ट को बहाल करने की मांग को लेकर करीब पांच जिलों के टाना भगत ने बरवाडीह-बरकाकाना रेलखंड स्थित टोरी जंक्शन पर रेलवे क्रासिंग के समीप रेलवे ट्रैक को जाम कर बुधवार शाम से ही बैठे हैं.
इनके आंदोलन के कारण आज धनबाद रेलखंड पर रेल यातायात बाधित है. नई दिल्ली से रांची आने वाली राजधानी एक्सप्रेस डालटनगंज रेलवे स्टेशन पर खडी है. रेल यातायात बाधित होने से प्रभावित नई दिल्ली-रांची राजधानी एक्सप्रेस के यात्रियों को बस से रांची भेजा गया है.
इसके अलावा कई टैक्सियों का भी इंतजाम किया गया है. डाल्टनगंज रेलवे स्टेशन परिसर से स्पेशल राजधानी एक्सप्रेस के यात्रियों को लेकर 12 बसें रांची के लिए रवाना हो गईं है. इस आंदोलन के कारण नई दिल्ली-रांची स्पेशल राजधानी एक्सप्रेस गुरुवार सुबह 6:40 बजे से डालटनगंज स्टेशन पर खडी है.
परेशान रेल यात्रियों ने डाल्टनगंज स्टेशन पर आंशिक विरोध भी किया. यात्रियों की सहायता के लिए स्टेशन मैनेजर एके तिवारी और यातायात निरीक्षक एके सिन्हा सहित डालटनगंज रेलवे स्टेशन प्रबंधन भोजन-पानी की व्यवस्था में जुटा है.
अखिल भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी टाना भगत समुदाय द्वारा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम के तहत अपनी जमीन वापस करने की मांग कर रहे हैं. वे अपनी जमीन को लगान मुक्त करने की भी मांग कर रहे हैं.
उच्च स्तरीय टाना भगत नेताओं के अनुसार झारखंड के छोटानागपुर के रहने वाले टाना भगत आजादी के 73 वर्ष बीतने के बावजूद वे अपने हक और अधिकार के लिए जूझ रहे हैं. वे कई बार केन्द्र एवं राज्य सरकार से अपनी मांगों को लेकर अवगत करा चुके हैं.
इसके बावजूद उनकी मांग को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. उनका आरोप है कि सरकार के द्वारा उनके खिलाफ जमीन संबंधी धोखाधडी, खनन संबंधी मामले, झूठा मुकदमा कर उनकी जमीन से उन्हें बेदखल करने की साजिश चलती रही है.यहां बता दें कि टाना भगतों ने आजादी के पहले गांधीजी के साथ विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया है.
वे महात्मा गांधी के साथ 1922 के आंदोलन, नमक आंदोलन, असहयोग आंदोलन, 1942 के आंदोलन आदि में कदम से कदम मिलाकर चले. टाना भगत महात्मा गांधी की तरह खादी पहनते हैं और चरखा चलाते हैं. टाना भगत खुद से ही बनाकर खाते हैं. किसी दूसरे के द्वारा बनाकर दिए जाने पर नहीं खाते हैं.
आजादी से पहले अंग्रेजों ने इनकी जमीन नीलाम कर दी थी. बाद में इनकी जमीन वापस नहीं मिली. इनकी जमीन पर लगान नहीं लगता था. सरकार अब लगान लगाने लगी है. इनकी मांग है कि इनकी जमीन लगान मुक्त किया जाए.
उनका कहना है कि सक्षम अधिकारी हमारी मांगों को पूरा करने का लिखिति आश्वासन आकर देंगे, तभी वे धरने से हटेंगे. टाना भगतों की मांग है कि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1947 (धारा 145) टेनेंसी एक्ट, दफा 81, धारा ए के मुताबिक छोटानागपुर भूमि का मालिक एवं लगान पाने वाला टाना भगत खंड 1, 2, 3 उरांव, मुंडा और खडिया हैं.
हमारा हक हमें मिले. इन्हीं मांगो को लेकर टाना भगत ट्रैक जाम किये हुए हैं. टाना भगत ने प्रशासन द्वारा दी जाने वाले किसी भी सुविधा को लेने से इनकार करते हुए खुद की व्यवस्था पर रात भी ट्रैक पर गुजारा. आज सुबह वे लोग पास के तालाब और चापानल में जाकर अपने नित्यक्रिया से निबटकर जामस्थल में ही पूजा अर्चना की और अपना आंदोलन चालू रखा.
सुबह से कई जगहों के टाना भगत भी जाम स्थल में पहुंचने लगे. प्रशासन की ओर से सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये हैं.इसबीच, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि टाना भगतो द्वारा अपनी मांगों के विषय पर पूर्व सूचना दिए जाने के बावजूद सरकार की उदासीनता के कारण आज इस वर्ग को सडकों पर उतरना पडा.
प्रशासन द्वारा इन्हें हिरासत में लिया गया, जो निंदनीय है. इनके द्वारा सूचना दिए जाने के बावजूद सरकार का कोई प्रतिनिधि या प्रशासन का कोई बडा अधिकारी वार्ता के लिए नहीं आया, जो इस पूरे सरकार का इस देशभक्त आदिवासी समुदाय के प्रति रवैया दिखाता है.