तमिलनाडु: "राज्यपाल लोकतंत्र को समृद्ध करने के लिए हैं न कि उसे खत्म करने के लिए", डीएमके ने गवर्नर आरएन रवि को घेरते हुए कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: November 21, 2023 12:15 PM2023-11-21T12:15:06+5:302023-11-21T12:23:02+5:30
तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा एमके स्टालिन सरकार द्वारा भेजे गये विभिन्न विधेयकों के लटकाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट मं चल रही सुनवाई के बीच डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने मंगलवार को गवर्नर आरएन रवि पर तीखा हमला किया।

फाइल फोटो
चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा एमके स्टालिन सरकार द्वारा भेजे गये विभिन्न विधेयकों के लटकाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट मं चल रही सुनवाई के बीच डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने मंगलवार को गवर्नर आरएन रवि पर तीखा हमला किया।
डीएमके नेता एलंगोवन ने कहा कि राज्य में राज्यपाल की भूमिका लोकतंत्र को बचाए रखने की है, न कि उसे खत्म करने की।
उन्होंने कहा, "राज्यपाल कुछ नहीं है, उन्हें बदला जाएगा। राज्यपाल की भूमिका लोकतंत्र को बचाए रखने की है। वह लोकतंत्र का हिस्सा हैं और उनकी भूमिका लोकतंत्र को बचाए रखने की है, लोकतंत्र की हत्या करने की नहीं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने जो भी कहा वह सही है। उन्हें जवाब देना होगा"
इसके अलावा डीएमके प्रवक्ता ने राज्यपाल द्वारा किसी विधेयक को अस्वीकार किए बिना उसे रोके रखने की जमकर आलोचना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्यपाल को विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को उस वक्त तक स्वीकार किया जाना चाहिए, जब तक कि कोई कानूनी समस्या न हो।
उन्होंने ऐसे ही उदाहरण का जिक्र किया, जब एक बिल को राज्यपाल ने बिना कोई कानूनी बिंदु स्पष्ट किये लौटा दिया था। डीएमके नेता एलंगोवन ने इस बात पर जोर दिया कि यह फैसला करना राज्यपाल का काम नहीं है, बल्कि चुनी हुई सरकार का काम है क्योंकि जनता सरकार से सवाल करेगी न कि राज्यपाल से।
उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में विधानसभा जनता द्वारा चुनी जाती है, यही लोकतंत्र है। राज्यपाल को राज्य का प्रमुख नियुक्त किया जाता है। इसलिए जब तक उन्हें किसी विधेयक के बारे में कोई संदेह न हो तो वह उसे वापस नहीं भेज सकते हैं।"
एलंगोवन ने कहा, "लोकतंत्र में सबसे मजेदार बात है। लोकतंत्र लोगों के लिए है। जब कोई विधानसभा किसी विधेयक को पारित करती है तो राज्यपाल को इसे स्वीकार करना होता है जब तक कि उन्हें ऐसा कुछ भी न मिले, जो कानूनी रूप से गलत हो। अगर उन्हें कुछ गलत लगता है तो वह राज्य कैबिनेट से स्पष्टीकरण मांग सकते हैं लेकिन बिना कुछ किए वह विधेयक को रोके हुए हैं।"
उन्होंने कहा, "एक बार जब उन्होंने कोई बिल लौटाया तो किसी कानूनी आपत्ति का जिक्र नहीं किया। बिल को रोके रहना उनका काम नहीं है, इसका निर्णय चुनी हुई सरकार को निर्णय लेना है क्योंकि लोग केवल सरकार से पूछेंगे, राज्यपाल से नहीं।''