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तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने कतरे राज्यपाल के पर, लागू किया गुजरात मॉडल, 13 विश्वविद्यालयों के VC नियुक्त करने का अधिकार लिया वापस

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: April 25, 2022 19:53 IST

तमिलनाडु विधानसभा में उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने कहा कि तमिलनाडु राज्य के यूनिवर्सिटियों के वाइस चांसलर की नियुक्ति के संबंध में आवश्यक संशोधन किये गये हैं, जिसके तरह अब राज्य सरकार ने वाइस चांसलर की नियुक्ति का अधिकार अपने हाथों में ले लिया है।

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ठळक मुद्देतमिलनाडु की डीएमके सरकार ने गवर्नर की शक्तियों को कम करने के लिए एक विधेयक पास किया हैपास हुए वि्धेयक के तहत अब गवर्नर स्टेट यूनिवर्सिटियों मेे वाइस चांसलर की नियुक्ति नहीं कर पाएंगेतमिलनाडु में कुल 13 स्टेट यूनिवर्सिटी है

चेन्नई: तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने सोमवार को गवर्नर की शक्तियों को कम करने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पास किया, जिसके तहत राज्य के 13 यूनिवर्सिटियों  में वाइस चांसलर की नियुक्ति करने की शक्ति को वापस ले लिया गया है।

विधेयक के संबंध में विधानसभा में जानकारी देते हुए राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने कहा कि तमिलनाडु राज्य के यूनिवर्सिटियों के वाइस चांसलर की नियुक्ति के संबंध में आवश्यक संशोधन किये गये हैं, जिसके तरह अब राज्य सरकार ने वाइस चांसलर की नियुक्ति का अधिकार अपने हाथों में ले लिया है।

मालूम हो कि स्टालिन सरकार का यह विधेयक तमिलनाडु विधानसभा में उस दिन पारित हुआ, जिस दिन तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि राज्य यूनिवर्सिटियों के वाइस चांसलर के साथ दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहे थे।

अंग्रेजी वेबसाइट 'द न्यूज मिनट' के मुताबिक विधेयक पेश किये जाने के दौरान विधानसभा में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु राज्य सरकार के द्वारा कुल 13 यूनिवर्सियियों का संचालन किया जाता है। चूंकि राज्य सरकार के पास इन यूनिवर्सिटियों में वाइस चांसलर नियुक्त करने का अधिकार नहीं था, जिसकी वजह से कई नीतिगत निर्णयों को ठीक से नहीं लिया जा रहा था।

अपने भाषण में स्टालिन ने कहा, “वाइस चांसलर की नियुक्ति में प्रथा रही है कि गवर्नर उनकी नियुक्ति के समय राज्य सरकार से आवश्यक परामर्श लेते हैं, हाल के दिनों में और विशेषकर बीते चार सालों में गवर्नर की ओर से इस मामले में कोई सलाह नहीं ली जा रही थी और गवर्नर उन नियुक्तियों के मामले में ऐसे व्यवहार कर रहे थे मानो वाइस चांसलरों की नियुक्ति में उसके पास विशेषाधिकार है।

मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा, "यह राज्य सरकार के अधिकारों और यूनिवर्सिटी की शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा एक गंभीर मसला है। इसलिए विधानसभा सदस्यों से अपील की जाती है कि वो सर्वसम्मति से इस विधेयक को पारित करने में सरकार का सहयोग करें।

राज्य सरकार का विधेयक गुजरात यूनिवर्सिटी एक्ट 1949, तेलंगाना यूनिवर्सिटी एक्ट 1991 और कर्नाटक स्टेट यूनिवर्सिटी एक्ट 2000 के तरह है, जो राज्य सरकारों को स्टेट यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर की नियुक्त का अधिकार देता है।

विधानसभा में पेश हुए इस विधेयक का भाजपा ने विरोध किया, जबकि राज्य की मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने कांग्रेस विधायक दल के नेता के सेल्वापेरुन्थगई द्वारा दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के विषय में विवादित टिप्पणी किये जाने को लेकर आपत्ति जताते हुए विधेयक के पारित होने से पहले वॉकआउट कर गई।

वहीं अन्य विपक्षी दल पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) ने राज्य सरकार के इस विधेयक का समर्थन किया। इस तरह से राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित सभी 13 स्टेट यूनिवर्सिटियों में वाइस चांसलर नियुक्त करने वाला विधेयक सोमवार को विधानसभा में पारित हो गया।

विधेयक पास होने से पहले मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विधानसभा में प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात का हवाला देते हुए विधानसभा में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में भी स्टेट यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलरों की नियुक्ति गवर्नर के द्वारा नहीं बल्कि राज्य सरकार के द्वारा की जाती है।

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