टीकाकरण के पहले चरण में न्यायाधीशों को शामिल करने वाली याचिका प्रतिवेदन के रूप में लें: अदालत
By भाषा | Updated: February 4, 2021 13:49 IST2021-02-04T13:49:29+5:302021-02-04T13:49:29+5:30

टीकाकरण के पहले चरण में न्यायाधीशों को शामिल करने वाली याचिका प्रतिवेदन के रूप में लें: अदालत
नयी दिल्ली, चार फरवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार से न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं एवं अन्य न्यायिक कर्मचारियों को कोविड-19 टीकाकरण के पहले चरण में शामिल करने वाली जनहित याचिका को प्रतिवेदन के रूप में व्यवहार करने के लिये कहा है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी एन पटेल एवं न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि टीकाकरण के लिये प्राथमिकता निर्धारित करना नीतिगत निर्णय है और अदालत इसमें कोई बदलाव नहीं करेगी ।
पीठ ने कहा, ‘‘कोविड-19 टीकाकरण के लिये सरकार की प्राथमिकता को बदलने का हमें कोई कारण नहीं दिखता है क्योंकि विभिन्न कारकों के आधार पर लिया गया यह नीतिगत निर्णय है।’’
अदालत ने कहा, " मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, इस याचिका को एक प्रतिवेदन के रूप में व्यवहार किया जाना चाहिये और इसमें दी गयी शिकायतों को कानून, नियमों, विनियमों और सरकार की नीति के अनुसार लागू किया जाना चाहिये ।’’
पीठ ने आगे कहा कि जितना जल्दी संभव हो सके इस बारे में निर्णय किया जाना चाहिये।
केंद्र सरकार ने कोविड-19 टीकाकरण के पहले चरण में डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिस, सुरक्षा बलों एवं सफाईकर्मियों को टीका लगाने का निर्णय किया है।
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