JNU कैंपस में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण, पीएम मोदी बोले-विचारों के प्रवाह को अविरल बनाए रखें, साबरमती ढाबा सबसे अलग
By सतीश कुमार सिंह | Published: November 12, 2020 07:52 PM2020-11-12T19:52:43+5:302020-11-12T21:36:34+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसी एक बात जिसने हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है- वो है राष्ट्रहित से ज्यादा प्राथमिकता अपनी विचारधारा को देना...हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में, राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए, राष्ट्र के खिलाफ नहीं।
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया। राष्ट्रहित के मामले में हमारी विचारधारा को राष्ट्र के समर्थन के रूप में देखा जाना चाहिए ना कि देश के विरोध के रूप में।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसी एक बात जिसने हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है- वो है राष्ट्रहित से ज्यादा प्राथमिकता अपनी विचारधारा को देना...हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में, राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए, राष्ट्र के खिलाफ नहीं।
पीएम ने कहा कि ये प्रतिमा देश को युवाओं के नेतृत्व में विकास के उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी, जो स्वामी जी की अपेक्षा रही है। ये प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त-समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देगी।मेरी कामना है कि JNU में लगी स्वामी जी की ये प्रतिमा, सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे। ये प्रतिमा वो साहस दे, हिम्मत दे जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे। ये प्रतिमा वो करुणाभाव सिखाए, दया सिखाए जो स्वामी जी के दर्शन के मुख्य आधार रहे हैं।
#WATCH: One thing that has harmed a lot to democratic setup of our country is giving more priority to one's own ideology than interest of nation...Our thinking should align with interest of our nation & not be against it: PM Modi after unveiling statue of Swami Vivekananda at JNU pic.twitter.com/TSqQI2OfkH
— ANI (@ANI) November 12, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोगों ने अपने वोट के माध्यम से देश की उन्नति के लिए हमारे सुधार उपायों का समर्थन किया, इन फैसलों के प्रति विश्वास जताया है। अच्छे सुधारों को खराब राजनीति माना जाता था, लेकिन हमारी नेक प्रतिबद्धता व इरादों के कारण अब इसे अच्छी राजनीति माना जाता है। एक चीज जिसने हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया है वह है राष्ट्रहित पर विचारधारा को प्राथमिकता देना।
युवा साथियों, छात्र जीवन खुद को पहचानने के लिए एक बहुत उत्तम अवसर होता है। खुद को पहचानना जीवन की बहुत अहम आवश्यकता भी होती है। मैं चाहूंगा कि आप इसका भरपूर उपयोग कीजिये। Idea sharing को, नए विचारों के प्रवाह को अविरल बनाए रखना है। हमारा देश वो भूमि है जहां अलग-अलग बौद्धिक विचारों के बीज अंकुरित होते रहे हैं और फलते फूलते भी हैं। इस परंपरा को मजबूत करना युवाओं के लिए आवश्यक है। इसी परंपरा के कारण भारत दुनिया का सबसे vibrant लोकतंत्र है।
स्वार्थ के लिए अपनी विचारधारा से समझौता करना भी गलत है। अब इस तरह का अवसरवाद सफल नहीं होता। रोजमर्रा की जिंदगी में हम ये देख भी रहे हैं। हमें अवसरवाद से दूर स्वस्थ संवाद को लोकतंत्र में जिंदा रखना है। इस एकजुटता में, इस लड़ाई में भी किसी को अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करना पड़ा था। बस उद्देश्य एक ही था- राष्ट्रहित। ये उद्देश्य ही सबसे बड़ा था। जब राष्ट्र की एकता अखंडता और राष्ट्रहित का प्रश्न हो तो अपनी विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से, देश का नुकसान ही होता है।
Swami Vivekananda wanted that education in the country should be such that it provides self-confidence to individuals and makes them Aatmanirbhar in every way. New National Education Policy is on the same line and has inclusion at its core: PM Narendra Modi pic.twitter.com/QQBObJNKIx
— ANI (@ANI) November 12, 2020
Emergency के दौरान भी देश ने यही एकजुटता देखी थी। मैं इसका प्रत्यक्ष गवाह हूं। Emergency के खिलाफ उस आंदोलन में कांग्रेस के पूर्व नेता और कार्यकर्ता भी थे। आरएसएस के स्वयंसेवक और जनसंघ के लोग भी थे। समाजवादी लोग भी थे। कम्यूनिस्ट भी थे।
जब-जब देश के सामने कोई कठिन समय आया है, हर विचार हर विचारधारा के लोग राष्ट्रहित में एक साथ आए हैं। आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर विचारधारा के लोग एक साथ आए थे। उन्होंने देश के लिए एक साथ संघर्ष किया था।
I hope his statue teaches everyone devotion and intense love towards the nation, which is supreme message of Swamiji's life. May it inspire the country for vision of oneness: PM Modi after unveiling a statue of Swami Vivekananda at JNU campus, via video conferencing https://t.co/ynFVJUVORh
— ANI (@ANI) November 12, 2020
इस कैंपस में एक लोकप्रिय जगह है- साबरमती ढाबा, आज तक आपके Ideas की, Debate की, Discussion की जो भूख साबरमती ढाबा में मिटती थी। अब आपके लिए स्वामी जी की इस प्रतिमा की छत्रछाया में एक और जगह मिल गई है।
विचारधारा पर गर्व स्वाभाविक लेकिन वह राष्ट्रहित में होनी चाहिए ना कि राष्ट्र के खिलाफ: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि अपनी विचारधारा को राष्ट्रहित से ज्यादा प्राथमिकता दिए जाने से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि विचारधारा पर गर्व स्वाभाविक है लेकिन वह राष्ट्रहित में होनी चाहिए ना कि राष्ट्र के खिलाफ। प्रधानमंत्री राजधानी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के परिसर में स्वामी विवेकानंद की आदमकद प्रतिमा का अनावरण करने के बाद छात्रों को संबोधित कर रहे थे।
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस अनावरण समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी उपस्थित थे। मोदी ने कहा, ‘‘किसी एक बात, जिसने हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है- वो है राष्ट्रहित से ज्यादा प्राथमिकता अपनी विचारधारा को देना।
क्योंकि मेरी विचारधारा ये कहती है, इसलिए देशहित के मामलों में भी मैं इसी सांचे में सोचूंगा, इसी दायरे में काम करूंगा, ये गलत है।’’ उन्होंने कहा कि आज हर कोई अपनी विचारधारा पर गर्व करता है और ये स्वाभाविक भी है लेकिन फिर भी, ‘‘हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में, राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए, राष्ट्र के खिलाफ नहीं’’।