swachh bharat abhiyan: CAG ने उठाए सवाल, 2326 स्कूली टॉयलेट में से 1812 गंदे, कोई बदलाव नहीं

By शीलेष शर्मा | Updated: October 5, 2020 16:55 IST2020-10-05T16:55:37+5:302020-10-05T16:55:37+5:30

सरकार कहती है कि देश में स्वच्छता अभियान ज़ोर पकड़ रहा है और अब देश गन्दगी से मुक्त हो रहा है लेकिन ज़मीनी हकीक़त इसके बिलकुल विपरीत यही। कैग की रिपोर्ट का अगर ज़िक्र करें तो आंकड़े इसकी वास्तविकता को दिखाने वाले हैं। 

swachh bharat abhiyan cleanliness campaign CAG questions 1812 out of 2326 school toilets are dirty no change | swachh bharat abhiyan: CAG ने उठाए सवाल, 2326 स्कूली टॉयलेट में से 1812 गंदे, कोई बदलाव नहीं

रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे के दौरान 2326 स्कूली टॉयलेट में से 1812 बुरी तरह गंदे पाए गए।

Highlightsसरकार दावा करती रही है का जब सर्वेक्षण किया गया तो 40 फीसदी या तो शौचालाय मौजूद नहीं थे और जो थे वे काम नहीं कर रहे थे।15 राज्यों के 2048 स्कूलों में इस अभियान के तहत बड़े पैमाने पर शौचालयों  कराया गया।  हैरानी की बात तो ये है कि इन शौचालयों का निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा कराया गया था जिनकी कुल संख्या  1,30,703 थी। 

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को लेकर सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में जो खुलासा किया वह चौंकाने वाला है।  इस रिपोर्ट के अनुसार जिन शौचालाय के निर्माण और उनके चालू होने का सरकार दावा करती रही है का जब सर्वेक्षण किया गया तो 40 फीसदी या तो शौचालाय मौजूद नहीं थे और जो थे वे काम नहीं कर रहे थे।

सरकार कहती है कि देश में स्वच्छता अभियान ज़ोर पकड़ रहा है और अब देश गन्दगी से मुक्त हो रहा है लेकिन ज़मीनी हकीक़त इसके बिलकुल विपरीत यही। कैग की रिपोर्ट का अगर ज़िक्र करें तो आंकड़े इसकी वास्तविकता को दिखाने वाले हैं। 

15 राज्यों के 2048 स्कूलों में इस अभियान के तहत बड़े पैमाने पर शौचालयों  कराया गया। कैग ने वास्तविकता का पता लगाने के लिए 2695 शौचालयों सर्वेक्षण किया। हैरानी की बात तो ये है कि इन शौचालयों का निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा कराया गया था जिनकी कुल संख्या  1,30,703 थी। 

रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे के दौरान 2326 स्कूली टॉयलेट में से 1812 बुरी तरह गंदे पाए गए। दिन में कम से कम एक बार सफाई के मानक के विपरीत इन 1812 में से 715 टॉयलेट बिल्कुल भी साफ नहीं किए जाते, जबकि 1097 टॉयलेट में सप्ताह में दो बार से लेकर महीने में एक बार तक सफाई की जा रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 200 टॉयलेट महज कागज़ों में ही बना दिए गए, जबकि 86 का आंशिक निर्माण किया गया। ऐसे 83 टॉयलेट मिले, जिनका निर्माण पहले ही किसी अन्य योजना में हो चुका था। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कैग  रिपोर्ट आने के बाद मोदी के इस दावे पर चुटकी ली और पूछा कि  जब स्कूल के शौचालयों की यह स्थिति है तब भारत खुले में शौंच की बुराई से कैसे मुक्त कहा जा सकता है। 

एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार गांव  में 44 फीसदी लोग अभी भी खुले में शौच जाते हैं। जिन राज्यों की सबसे बुरी स्थिति है उनमें मध्य प्रदेश , बिहार  और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। देश में 9 करोड़ परिवारों को खुले शौंच से निजात दिलाने का मंत्रालय ने लक्ष्य निर्धारित किया था लेकिन एक गैर सरकारी संस्था द्वारा किये गए सर्वेक्षण में यह बात खुल कर सामने आयी कि  2014 से 2018 के बीच सरकार ने स्वछता क्षेत्र का दायरा 34 फीसदी से बढ़ा कर 98 फीसदी तक पहुंचा दिया है लेकिन सर्वेक्षण में खुलासा किया गया कि  यह दवा केवल कागज़ों तक सीमित है वास्तविकता कुछ और ही है।

 आज भी 56 फीसदी लोग खुले में शौच का उपयोग कर रहे हैं।  बिहार में ऐसे लोगों की संख्या 60 फीसदी है और मध्य प्रदेश में 25 फीसदी।  कैग ने गहराई से अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट में गंभीर सवाल उठाये  हैं लेकिन अभी तक मंत्रालय ने कोई सफाई पेश नहीं की है।  

Web Title: swachh bharat abhiyan cleanliness campaign CAG questions 1812 out of 2326 school toilets are dirty no change

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