महबूबा मुफ्ती की रिहाई पर सस्पेंस बरकरार, बेटी इल्तिजा ने पत्र लिखकर उठाई थी मांग
By सुरेश एस डुग्गर | Published: March 25, 2020 09:00 PM2020-03-25T21:00:10+5:302020-03-25T21:00:10+5:30
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू को पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने महबूबा मुफ्ती सहित जेलों में बंद नेताओं व अन्य लोगों की रिहाई की मांग की थी।
जम्मू: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की रिहाई को लेकर फिलहाल संस्पैंस बरकरार है। आज सुबह से ही चर्चा थी कि उन्हें किसी भी वक्त रिहा किया जा सकता है। ऐसर चर्चा सरकारी हल्कों में ही थी लेकिन इस मामले पर कोई भी अधिकारी मुंह खोलने को राजी नहीं था। महबूबा मुफ्ती को चार अगस्त को नजरबंद किया गया था, बाद में पीएसए के तहत निरुद्ध कर दिया गया था। मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला को रिहा किया गया था।
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू को पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने महबूबा मुफ्ती सहित जेलों में बंद नेताओं व अन्य लोगों की रिहाई की मांग की थी।
इल्तिजा ने कहा कि दुनियाभर में कोरोना वायरस फैला हुआ है। साथ ही इससे निजात पाने के लिए कोई टीका या दवाई भी अभी तक नहीं बनी है। इन सभी पहलुओं को देखते हुए मेरी मां व जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा सहित अन्य लोगों को रिहा किया जाए। इस दौरान उन्होंने पूर्व में केंद्र शासित प्रदेश में सामने आए कोरोना वायरस के मामलों का उल्लेख भी किया था।
इस बीच 232 दिनों की हिरासत से रिहा हुए उमर ने एक ट्वीट किया था,जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ट्वीट करते हुए अपनी एक तस्वीर साझा की है। उन्होंने लिखा कि जब आप 232 दिन लाकडाउन में रहते हैं और फिर जिस दिन रिहा होते हैं आपको मालूम चलता है कि सरकार ने 21 दिन का लाकडाउन कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस गंभीर और डरावने समय में अगर आप थोड़ा मजाक कर लेते हैं तो इससे कोई हानि नहीं है।
दरअसल इस साल 16 जनवरी को पांच नेताओं को रिहा किया गया था। रिहा किए गए इन नेताओं में नेशनल कांफ्रेंस के सलमान सागर, शौकत गनई, अल्ताफ कल्लू और पीडीपी के निजामुद्दी भट एवं मुख्तियार बाबा शामिल थे। वहीं 30 दिसंबर को पांच नेताओं को रिहा किया गया था। ये नेता नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के थे, जिन्हें एहतियातन हिरासत में रखा गया था। इनमें इशफाक जब्बर व गुलाम नबी भट और पीडीपी के बशीर मीर, जहूर मीर और यासिर रेशी थे।
इससे पहले 13 मार्च को पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को रिहा किया गया था। फारुक अब्दुल्ला ने पीएसए से रिहाई के बाद कहा कि आज मेरे पास शब्द नहीं हैं। आज मैं आजाद हूं। अगर मुझे अनुमति मिली तो मैं संसद जाऊंगा और आवाम की आवाज को संसद में रखूंगा। उन्होंने आगे कहा कि मैं उन सभी सांसदों का धन्यवाद करता हूं जो मेरी रिहाई के लिए लड़े।