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निलंबित DSP दविंदर सिंह हिज्बुल आतंकी को ले गया था जम्मू, ‘आराम व स्वास्थ्य लाभ’ के बाद शोपियां भेजा

By भाषा | Updated: January 14, 2020 20:52 IST

अधिकारी ने कहा कि डीएसपी के बैंक खाते एवं अन्य संपत्तियों का आकलन पुलिस कर रही है और कागजात जुटाए जा रहे हैं। इस तरह के कयास हैं कि मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपा जा सकता है। सिंह के सेवा इतिहास के बारे में जम्मू-कश्मीर पुलिस के कई सेवारत एवं सेवानिवृत्त अधिकारियों ने कहा कि अगर प्रोबेशन काल में ही अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गई होती तो ऐसी बात नहीं होती।

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ठळक मुद्देसिंह को शनिवार को नावीद बाबू उर्फ बाबर आजम और उसके सहयोगी आसिफ अहमद के साथ पकड़ा गया था।डीएसपी के बैंक खाते एवं अन्य संपत्तियों का आकलन पुलिस कर रही है और कागजात जुटाए जा रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के निलंबित उपाधीक्षक दविंदर सिंह हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादी नावीद बाबू को पिछले वर्ष जम्मू ले गया था और उसके ‘‘आराम तथा स्वास्थ्य लाभ’’ के बाद शोपियां लौटने में भी उसकी मदद की थी।

उससे पूछताछ करने वाले अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पूछताछ करने वाले एक अधिकारी ने सिंह के हवाले से बताया, ‘‘मेरी मति मारी गई थी।’’ एक बड़े आतंकवादी को पकड़ने की कहानी के माध्यम से जब वह जांचकर्ताओं को संतुष्ट नहीं कर पाया तब उसने यह बात कही।

सिंह को शनिवार को नावीद बाबू उर्फ बाबर आजम और उसके सहयोगी आसिफ अहमद के साथ पकड़ा गया था। आजम दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के नाजनीनपुरा का रहने वाला है। अधिकारियों ने बताया कि उपाधीक्षक ने दोनों को चंडीगढ़ में कुछ महीने तक आवास मुहैया कराने के लिए कथित तौर पर 12 लाख रुपये लिए थे।

अधिकारियों ने कहा कि उसके बयानों में काफी अनियमितताएं हैं और हर चीज की जांच की जा रही है और पकड़े गए आतंकवादियों के बयान से उसका मिलान किया जा रहा है। उनको दक्षिण कश्मीर के पूछताछ केंद्र में अलग-अलग कमरों में रखा गया है।

अधिकारियों ने बताया कि पूछताछ के दौरान पता चला कि सिंह उन्हें 2019 में जम्मू लेकर गया था। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि डीएसपी आतंकवादियों को ‘‘आराम कराने और स्वास्थ्य लाभ’’ के लिए ले जाता था। उन्होंने कहा कि नावीद ने पूछताछ करने वालों को बताया कि वे पहाड़ी इलाकों में रहते थे ताकि जम्मू-कश्मीर पुलिस से बच सकें और कड़ाके की ठंड से बचने के लिए वहां से हट जाते थे।

अधिकारी ने कहा कि डीएसपी के बैंक खाते एवं अन्य संपत्तियों का आकलन पुलिस कर रही है और कागजात जुटाए जा रहे हैं। इस तरह के कयास हैं कि मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपा जा सकता है। सिंह के सेवा इतिहास के बारे में जम्मू-कश्मीर पुलिस के कई सेवारत एवं सेवानिवृत्त अधिकारियों ने कहा कि अगर प्रोबेशन काल में ही अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गई होती तो ऐसी बात नहीं होती।

1990 में उपनिरीक्षक के तौर पर भर्ती हुए सिंह एवं एक अन्य प्रोबेशनरी अधिकारी पर अंदरुनी जांच हुई थी जिसमें एक ट्रक से मादक पदार्थ जब्त किए गए थे। अधिकारियों ने बताया कि प्रतिबंधित पदार्थ को सिंह और एक अन्य उपनिरीक्षक ने बेच दिया था। उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का कदम उठाया गया था लेकिर महानिरीक्षक स्तर के एक अधिकारी ने मानवीय आधार पर उसे रोक दिया था और दोनों को विशेष अभियान समूह में भेज दिया गया था। 

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