सुप्रीम कोर्ट बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर आज सुनाएगा फैसला

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 8, 2024 09:18 AM2024-01-08T09:18:28+5:302024-01-08T09:22:12+5:30

सुप्रीम कोर्ट 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार करने और उसके परिजनों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की रिहाई के संबंध में दायर की याचिका पर आज फैसला सुनाएगा।

Supreme Court will give its verdict today on the release of Bilkis Bano convicts | सुप्रीम कोर्ट बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर आज सुनाएगा फैसला

फाइल फोटो

Highlightsसुप्रीम कोर्ट बिलकिस रेपकांड के दोषियों की रिहाई पर आज सुनाएगा फैसला गुजरात सरकार की ओर से सभी 11 दोषियों को 2022 में जेल से रिहा कर दिया गया थाजस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने मामले की सुनवाई करके फैसला सुरक्षित रख लिया था

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार करने और उसके परिजनों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की रिहाई के संबंध में दायर की याचिका पर आज फैसला सुनाएगा। गुजरात सरकार ने बिलकिस रेपकांड के दोषियों को साल 2022 में रिहा कर दिया था।

समाचार वेबसाइट एनडीटीवी के अनुसार सभी 11 दोषियों को पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर गुजरात सरकार ने रिहा किया था। राज्य सरकार के इस फैसले से विपक्ष दल और नागरिक समाज में व्यापक गुस्सा था। वहीं पीड़िता बिलकिस बानो ने दोषियों की रिहाई के बाद कहा था कि उन्हें सरकार द्वारा दोषियों को दी गई रिहाई के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

15 अगस्त 2022 को जेल से रिहा होने के बाद सभी 11 दोषियों का नायक की तरह स्वागत किया गया था। मजे की बात यह है कि रिहा होने के बाद उन दोषियों को भाजपा सांसद और विधायक के साथ मंच साझा करते देखा गया था। वहीं दोषियों में से एक राधेश्याम शाह ने तो बाकायदा कोर्ट में वकालत भी शुरू कर दी थी।

जब दोषियों की रिहाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका समेत अन्य याचिकाओं पर 11 दिन की सुनवाई की और अक्टूबर में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार से सजा माफी से जुड़े मूल रिकॉर्ड पेश करने को कहा था।

वहीं कोर्ट में गुजरात सरकार की ओर से कहा गया था कि साल 1992 की छूट नीति के आधार पर दोषियों की रिहाई के लिए अनुमति दी गई थी, जिसे 2014 में एक कानून द्वारा हटा दिया गया है, जो मृत्युदंड के मामलों में रिहाई पर रोक लगाता है।

जब सुप्रीम कोर्ट ने उनमें से एक दोषी, राधेशयाम शाह की याचिका पर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को कहा था तो उसने कैदियों की रिहाई के लिए एक पैनल बनाया। जिसमें राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा से जुड़े लोग शामिल थे।

उस पैनल ने रिहाई के अपने फैसले को सही ठहराते हुए उन लोगों को "संस्कारी ब्राह्मण" कहा था, जो पहले ही 14 साल जेल की सजा काट चुके हैं और जिनका जेल में अच्छा व्यवहार था।

इसके बाद दोषियों की रिहाई का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं। याचिकाकर्ताओं में तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लौल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा  शामिल हैं।

Web Title: Supreme Court will give its verdict today on the release of Bilkis Bano convicts

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