Aadhaar Verdict: आधार की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने मानी केंद्र सरकार की दलीलें, याचिकाकर्ताओं ने उठाए थे ये सवाल
By आदित्य द्विवेदी | Published: September 26, 2018 01:20 PM2018-09-26T13:20:32+5:302018-09-26T17:02:44+5:30
Supreme Court Verdict on Aadhaar Validity: आधार स्कीम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।
नई दिल्ली, 26 सितंबरः सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 27 याचिकाकर्ताओं को सुनने के बाद 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की दलीलों को मानते हुए आधार को नागरिक की यूनीक पहचान माना है। साथ ही याचिकाकर्ताओं की डेटा की सुरक्षा और निजता के अधिकार का ध्यान रखते हुए भी कई टिप्पणियां की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पैन, आईटी रिटर्न और किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी के लिए आधार को अनिवार्य रखा है लेकिन बैंक खाते, मोबाइल सिम और स्कूलों में एडमिशन के लिए आधार की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। इस मामले में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तास्वामी की याचिका सहित कुल 31 याचिकाएं दायर की गयी थीं।
याचिकाकर्ताओं की चिंताएंः-
- किसी व्यक्ति से जुड़ी सारी सूचना एक स्थान पर मिल जाएगी।
- निजता के अधिकार का हनन है जिसे पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने मूलभूत अधिकार करार दिया था।
- लोगों पर निगरानी रखना आसान बनाता है। इससे सूचनाओं के हैक होने का खतरा बढ़ जाता है।
- अगर डेटा हैक होता है या गलत इस्तेमाल होता है तो इस स्थिति के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
- बॉयोमेट्रिक मिस-मैच से नागरिकों के लाभ से वंचित रखा जा सकता है।
Verdict on the constitutional validity of #Aadhaar: Justice AK Sikri says, "Aadhaar empowers the marginalised section of the society and gives them an identity, Aadhaar is also different from other ID proofs as it can't be duplicated" pic.twitter.com/ix9VEdw1nS
— ANI (@ANI) September 26, 2018
सरकार की सफाई:-
- डुप्लीकेशन और फर्जीवाड़े से निपटने में मदद मिलेगी।
- सभी को योजनाओं का समुचित वितरण हो सकेगा और कोई बचेगा नहीं।
- योजनाओं का लाभ देने के लिए सटीक डेटा मिलता है इससे लागू करने में आसानी होती है।
- सीधे लाभार्थियों तक योजना पहुंचती है इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाती है।
- लोगों की पहचान के खर्च में कटौती होगी।
केसवानंद भारती मामले में हुई थी ऐतिहासिक सुनवाई
कोर्ट द्वारा फैसला सुरक्षित रखे जाने पर अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ को बताया था कि 1973 के केसवानंद भारती के ऐतिहासिक मामले के बाद सुनवाई के दिनों के आधार पर यह दूसरा मामला बन गया है। पीठ में न्यायमूर्ति ए के सिकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी थे।
इन्होंने पेश की याचिका कर्ताओं की दलीलें
श्याम दीवान, गोपाल सुब्रमण्यम, कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम, अरविंद दतार, के वी विश्वनाथ, आनंद ग्रोवर, सजन पूवैया और कुछ अन्य वरिष्ठ वकीलों ने आधार का विरोध करने वाले याचिकाकताओं की ओर से दलीलें दी है।
क्या है आधार?
आधार एक 12 अंक की यूनिक पहचान संख्या है जो सवा अरब भारतीयों को दी गई गई है। इसमें व्यक्ति की पहचान के साथ उसका निवास और पहचान की अन्य जानकारियां होती हैं। 38 दिनों तक चली रिकॉर्ड सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 27 याचिकाकर्ताओं को सुना जिन्होंने आधार की संवैधानिकता पर सवाल खड़े किए थे और इसे निजता के अधिकार का हनन माना था।