सुप्रीम कोर्ट रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग पर 9 मार्च को करेगा सुनवाई, सुब्रमण्यम स्वामी ने दी है याचिका

By विनीत कुमार | Updated: February 23, 2022 12:04 IST2022-02-23T12:02:50+5:302022-02-23T12:04:52+5:30

भारत और श्रीलंका के बीच मौजूद रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग को लेकर याचिका भाजपा नेता और राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से डाली गई है।

Supreme Court to hear on March 9 on demand to declare RamSetu as national monument | सुप्रीम कोर्ट रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग पर 9 मार्च को करेगा सुनवाई, सुब्रमण्यम स्वामी ने दी है याचिका

रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई (फाइल फोटो)

Highlightsरामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट 9 मार्च को सुनवाई करेगा।सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से मामले पर तत्काल सुनवाई के लिए याचिका डाली गई थी।रामायण के अनुसार रावण की कैद से माता सीता को छुड़ाने के लिए भगवान राम की वानर सेना ने रामसेतु को बनाया था।

नई दिल्ली: भारत और श्रीलंका के बीच मन्नार की खाड़ी में चूना पत्थरों की श्रृंखला के तौर पर मौजूद रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। इस संबंध में याचिका भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर डाली गई थी। सामने आई जानकारी के अनुसार कोर्ट इस मामले में 9 मार्च को सुनवाई करेगा।

चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की तीन जजों की बेंच ने इस संबंध में निर्देश जारी किए। सुब्रमण्यम स्वामी ने मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि 9 मार्च को सुनवाई के बाद वह ये फैसला होगा कि इस मामले पर उसे आगे बढ़ना है या नहीं।

रामायण की कथा के अनुसार रावण की कैद से माता सीता को छुड़ाने के लिए भगवान राम की वानर सेना ने रामसेतु का निर्माण किया था। यह जगह तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर रामेश्वरम और श्रीलंका के मन्नार द्वीप के बीच है। इसे एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) भी कहा जाता है।

रामसेतु के आसपास सेतुसमुद्रम जहाजरानी परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में यूपीए कार्यकाल में रामसेतु के आसपास प्रस्तावित सेतुसमुद्रम जहाजरानी परियोजना के काम पर रोक लगा दी थी। सेतुसमुद्रम परियोजना के अंतर्गत चूना पत्थरों की इस श्रृंखला को हटाकर 83 किलोमीटर लंबा गहरा जलमार्ग बनाना था। इस जलमार्ग के लिए मन्नार को पाक जलडमरूमध्य से जोड़ने की परियोजना थी। 

सेतुसमुद्रम परियोजना का भाजपा सहित कुछ राजनीतिक दल, पर्यावरणविद और चुनिन्दा हिन्दू संगठन विरोध कर रहे थे। केंद्र ने बाद में कोर्ट में दायर एक नए हलफनामे में कहा था कि सरकार रामसेतु को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाए बगैर ही इस परियोजना के लिए वैकल्पिक मार्ग की संभावना तलाशेगी।

स्वामी ने इससे पहले अपनी याचिका में दलील दी थी कि उन्होंने मुकदमे का पहला दौर पहले ही जीत लिया हैं जिसमें केंद्र ने रामसेतु के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा था कि सेतु को राष्ट्रीय धरोहर स्मारक घोषित करने की उनकी मांग पर विचार करने के लिए 2017 में केंद्र द्वारा एक बैठक बुलाई गई थी लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ। 

साल 2020 में भी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की कही थी बात

इससे पहले कोर्ट ने जनवरी-2020 में तीन महीनों के बाद स्वामी की याचिका पर सुनवाई की बात की थी। हालांकि, कोविड-19 की वजह से मामले को तीन महीने बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया जा सका था। पिछले साल भी स्वामी ने अप्रैल में तब चीफ जस्टिस रहे एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना सहित जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ से आग्रह किया था कि याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है।

उस समय अगले कुछ दिनों में रिटायर हो रहे जस्टिस बोबडे ने कहा था, 'अगले सीजेआई को इस मुद्दे से निपटने दें। मेरे पास इतना समय नहीं है। इस मुद्दे के लिए समय चाहिए और मेरे पास समय नहीं है।'

Web Title: Supreme Court to hear on March 9 on demand to declare RamSetu as national monument

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