राफेल मामले में केंद्र सरकार की प्रारंभिक आपत्ति पर आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट
By भाषा | Published: April 10, 2019 08:17 AM2019-04-10T08:17:00+5:302019-04-10T08:17:00+5:30
सरकार का तर्क है कि दस्तावेंजों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मुद्दा है। प्रशांत भूषण ने इसके विरोध में कहा था कि दस्तावेज सार्वजनिक हैं।
उच्चतम न्यायालय बुधवार को केंन्द्र की इस प्राथमिक आपत्ति पर फैसला सुनायेगा कि क्या राफेल मामले में फैसले पर पुनर्विचार के लिये विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों को आधार बनाया जा सकता है या नहीं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ फैसला सुनाएगी। शीर्ष अदालत ने 14 मार्च को उन विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला सुरक्षित रखा था जिन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका में शामिल किया था।
14 दिसंबर के फैसले में उच्चतम न्यायालय ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। पीठ ने कहा, ‘‘केंद्र द्वारा जताई गयी प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला करने के बाद ही हम पुनर्विचार याचिकाओं के अन्य पहलू पर विचार करेंगे।’’ उसने कहा, ‘‘अगर हम प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर देते हैं, तभी दूसरे पहलुओं को देखेंगे।’’
केंद्र सरकार ने दावा किया था कि फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान सौदे से जुड़े दस्तावेजों को विशेषाधिकार प्राप्त बताया था और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के अनुसार इन दस्तावेजों को सबूत नहीं माना जा सकता। केंद्र की तरफ से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि संबंधित विभाग की अनुमति के बिना कोई उन्हें अदालत में पेश नहीं कर सकता क्योंकि इन दस्तावेजों को सरकारी गोपनीयता कानून के तहत भी संरक्षण प्राप्त है।
सूचना के अधिकार कानून की धारा 8 (1)(ए) के अनुसार भी जानकारी सार्वजनिक करने से छूट प्राप्त है। भूषण ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार की आपत्तियां दुर्भावनापूर्ण हैं और पूरी तरह अविचारणीय हैं।