नई दिल्ली, 14 सितंबर: सप्रीम कोर्ट ने देश में दहेज के उत्पीड़न के मामलो को देखते हुए एक बड़ा फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के फैसले में बदलाव करते हुए कहा कि दंड कानूनों में मौजूद खामी को संवैधानिक रूप से भरने की अदालतों के पास कोई गुंजाइश नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मामले में पति और उसके परिवार को मिला सेफगार्ड खत्म करते हुए साफ कर दिया कि पति की गिरफ्तारी भी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि शिकायतों के निपटारे के लिए परिवार कल्याण कमिटी की जरूरत नहीं है। न्यायालय ने कहा, हमने दहेज प्रताड़ना के मामलों में गिरफ्तारी पूर्व या अग्रिम जमानत के प्रावधान को संरक्षित किया है।
उच्चतम न्यायालय ने दहेज प्रताड़ना से जुड़ी शिकायतों से निपटने के लिए समिति गठित करने संबंधी अपने आदेश में संशोधन करते हुए कहा , आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी होगी। जो पीड़ित की सुरक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी है। कोर्ट ने आगे कहा कि आरोपियों के लिए अग्रिम जमानत का विकल्प खुला है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने ये फैसला किया है।