हलद्वानी अतिक्रमणः सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक, कहा- 50,000 लोगों को रातों-रात नहीं उजाड़ा जा सकता, जारी किया नोटिस
By अनिल शर्मा | Published: January 5, 2023 01:41 PM2023-01-05T13:41:59+5:302023-01-05T13:54:14+5:30
शीर्ष अदालत ने जमीन पर किसी तरह के नए निर्माण या विकास पर रोक लगा दी है। मामले को अब 7 फरवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
देहरादूनः सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने रेलवे, उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह एक “मानवीय मुद्दा” है, कुछ व्यावहारिक समाधान खोजने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 7 फरवरी की तारीख तय की है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 50,000 लोगों को रातों-रात नहीं उजाड़ा जा सकता। शीर्ष अदालत ने जमीन पर किसी तरह के नए निर्माण या विकास पर रोक लगा दी है। मामले को अब 7 फरवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
इससे पहले 4 जनवरी को अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका का उल्लेख करते हुए कहा था कि हल्द्वानी में 5,000 से अधिक घरों को गिराया जा रहा है और यह गुरुवार को सुनवाई के लिए निर्धारित मामले के समान है।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर को हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की जमीन से कब्जा हटाने का आदेश एक सप्ताह पहले रहवासियों को नोटिस देकर दिया था।
हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश के नेतृत्व में क्षेत्र के निवासियों ने सोमवार को उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
क्षेत्र से कुल 4,365 अतिक्रमण हटाए जाएंगे। बेदखली का सामना कर रहे लोग कई दशकों से जमीन पर रह रहे हैं। वे रेजिडेंट्स हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का विरोध कर रहे हैं।