'बाल यौन शोषण सामग्री' को डाउनलोड करना, देखना POCSO के तहत अपराध है: सुप्रीम कोर्ट

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: September 23, 2024 12:09 IST2024-09-23T12:08:02+5:302024-09-23T12:09:59+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 23 सितंबर को एक अहम फैसले में कहा कि बच्चों से जुड़ी यौन दुर्व्यवहार वाली सामग्री को डाउनलोड करना और देखना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत अपराध है।

Supreme Court says Downloading Watching Child Sexual Exploitative and Abusive Material Offence Under POCSO | 'बाल यौन शोषण सामग्री' को डाउनलोड करना, देखना POCSO के तहत अपराध है: सुप्रीम कोर्ट

(सर्वोच्च न्यायालय)

Highlights बच्चों से जुड़ी यौन दुर्व्यवहार वाली सामग्री को डाउनलोड करना और देखना अपराधसुप्रीम कोर्ट ने पलटा मद्रास उच्च न्यायालय का फैसलाभारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने सुनाया फैसला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 23 सितंबर को एक अहम फैसले में कहा कि बच्चों से जुड़ी यौन दुर्व्यवहार वाली सामग्री को डाउनलोड करना और देखना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत अपराध है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि केवल चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करना और देखना POCSO अधिनियम के तहत अपराध नहीं है। 

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय ने निर्णय पारित करते हुए "गंभीर त्रुटि" की है। सर्वोच्च न्यायालय ने संसद को "बाल पोर्नोग्राफी" शब्द को "बाल यौन शोषण और अपमानजनक सामग्री" से बदलने के लिए POCSO अधिनियम में संशोधन करने वाला कानून लाने का सुझाव दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संशोधन के लागू होने तक, केंद्र सरकार इस आशय का अध्यादेश ला सकती है और सभी अदालतों को "बाल पोर्नोग्राफी" शब्द का उपयोग न करने का निर्देश दिया। 

मद्रास हाईकोर्ट का आदेश क्या था?

सुप्रीम कोर्ट मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुना रहा था, जिसके तहत कोर्ट ने कहा था कि 'केवल चाइल्ड पोर्न देखना' POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियमों के तहत अपराध नहीं है। 

11 जनवरी को, मद्रास हाईकोर्ट ने चेन्नई के 28 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी थी, जिस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करने और देखने का आरोप था, यह देखते हुए कि निजी तौर पर ऐसी स्पष्ट सामग्री देखना POCSO अधिनियम के दायरे में नहीं आएगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज उस व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही बहाल कर दी।

Web Title: Supreme Court says Downloading Watching Child Sexual Exploitative and Abusive Material Offence Under POCSO

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे