सुप्रीम कोर्ट ने कहा- छूट पाने के बाद सामान्य सीट पर स्थानान्तरित नहीं हो सकता आरक्षित श्रेणी का अभ्यर्थी

By भाषा | Published: July 4, 2019 10:26 PM2019-07-04T22:26:30+5:302019-07-04T22:26:30+5:30

न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि किसी आरक्षित श्रेणी में होने के कारण उम्र संबंधी छूट का लाभ उठाने वाले अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी के लिए विचार किये जाने के हकदार नहीं हैं।

Supreme Court said that after getting the exemption, the reserved category candidate can not be transferred to general seat | सुप्रीम कोर्ट ने कहा- छूट पाने के बाद सामान्य सीट पर स्थानान्तरित नहीं हो सकता आरक्षित श्रेणी का अभ्यर्थी

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उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को व्यवस्था दी कि चयन प्रक्रिया में उम्र संबंधी छूट का लाभ उठाने वाला आरक्षित श्रेणी का अभ्यर्थी बाद के चरण में सामान्य श्रेणी की सीट पर स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 16 (4) सरकार को ऐसे किसी भी पिछड़े वर्ग को नियुक्तियों में आरक्षण देने की शक्ति देता है जिन्हें उसकी राय में सेवा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।

न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि किसी आरक्षित श्रेणी में होने के कारण उम्र संबंधी छूट का लाभ उठाने वाले अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी के लिए विचार किये जाने के हकदार नहीं हैं और उनके मामलों पर केवल आरक्षित श्रेणी के लिए ही विचार किया जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने यह फैसला उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाले नीरव कुमार दिलीपभाई मकवाना नाम के अभ्यर्थी की याचिका पर आया जिसमें गुजरात लोक सेवा आयोग की चयन प्रक्रिया को बरकरार रखा गया था।

पीठ ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि जब लिखित परीक्षा में प्रयासों की संख्या की अनुमति, आयु सीमा, अनुभव, योग्यता आदि में एससी,एसटी और एसईबीसी श्रेणी के लिए किसी उम्मीदवार के चयन में कोई छूट संबंधी मानक लागू होता है तो इस तरह से चयनित इस श्रेणी के उम्मीदवार पर केवल आरक्षित सीट के लिए ही विचार किया जा सकता है। इस तरह के उम्मीदवार को अनारक्षित सीट पर विचार के लिए अनुपलब्ध माना जाएगा।’’

अदालत ने कहा कि पिछड़े वर्गों के लिए सशर्त या बिना शर्त छूट या तरजीह संबंधी नीतियां बनाना पूरी तरह से राज्य सरकार का विवेकाधिकार है। पीठ ने गुजरात सरकार द्वारा 21 जनवरी 2000 और 23 जुलाई 2004 को जारी सर्कुलर का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने अजा, अजजा और ओबीसी के समर्थन में आरक्षण देने की नीति बनाई है। 

Web Title: Supreme Court said that after getting the exemption, the reserved category candidate can not be transferred to general seat

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