जम्मू कश्मीरः सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट के इस्तेमाल को माना मौलिक अधिकार, पाबंदी पर समीक्षा करने का आदेश
By एएनआई | Published: January 10, 2020 03:24 PM2020-01-10T15:24:16+5:302020-01-10T15:24:16+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 जनवरी) को जम्मू-कश्मीर में लगे प्रतिबंध पर दायर याचिका पर सुनवाई करने के दौरान कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत हर व्यक्ति को इंटरनेट इस्तेमाल का मूलभूत अधिकार है। साथ ही जम्मू और कश्मीर के प्रशासन से एक हफ्ते में राज्य में लगी पाबंदियों के बारे में विचार के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 जनवरी) को जम्मू-कश्मीर में लगे प्रतिबंधों पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि इंटरनेट के इस्तेमाल को मौलिक अधिकार माना है। कोर्ट ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19 का हिस्सा है। कोर्ट ने कहा कि सरकार इस पर हमेशा के लिए रोक नहीं लगा सकती। साथ ही न्यायालय ने जम्मू और कश्मीर के प्रशासन से एक हफ्ते में राज्य में लगी पाबंदियों के बारे में विचार करने का आदेश दिया है।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति एनवी रमण समेत तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा 'इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि लोकतंत्र में बोलने की आजादी एक महत्वपूर्ण हथियार है। भारतीय संविधान में अनुच्छेद (1)(अ) के अंतर्गत इंटरनेट इस्तेमाल का मौलिक आधिकार है।'
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कश्मीर में बहुत हिंसा हुई है। इस कानून के जरिए लोगों के मानवाधिकारों और सुरक्षा के मुद्दों को संतुलित किया जा सकेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू और कश्मीर के प्रशासन से एक हफ्ते में राज्य में लगी पाबंदियों के बारे में विचार के निर्देश दिए हैं। कश्मीर के नागरिकों को कड़ी सुरक्षा और आजादी दी जानी चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू और कश्मीर में कई चीजों पर लगी पाबंदी की याचिका पर सुनवाई करने के दौरान निर्देश दिए। न्यायालय में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजााद और टाइम्स एडिटर अनुराधा समेत कई लोगों ने जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट और कम्युनिकेशन समेत कई चीजों पर लगे प्रतिबंध पर दायर याचिका की सुनवाई की।
केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त में जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और कश्मीर में बांट दिया गया था।