समलैंगिक विवाह मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा- भावनाओं के आधार पर नहीं संविधान के अनुसार विचार करना होगा

By भाषा | Updated: May 3, 2023 20:56 IST2023-05-03T20:54:40+5:302023-05-03T20:56:03+5:30

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक संवैधानिक अदालत होने के नाते यदि शीर्ष न्यायालय इन युवा जोड़ों की भावनाओं पर विचार करेगा, तो अन्य लोगों की भावनाओं पर बड़ी मात्रा में दस्तावेज पेश किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसलिए यह जरूरी है कि न्यायालय संविधान के अनुसार मुद्दे पर आगे बढ़े। इस मामले में अगली सुनवाई नौ मई को होगी।

Supreme Court said consider according to the constitution while deciding on the gay marriage issue | समलैंगिक विवाह मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा- भावनाओं के आधार पर नहीं संविधान के अनुसार विचार करना होगा

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsसमलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने पर उच्चतम न्यायालय ने की अहम टिप्पणीकहा- हम भावनाओं के आधार पर विचार नहीं करेंगेकहा- संविधान के अनुसार विचार करना होगा

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार, 3 मई को स्पष्ट कर दिया कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर फैसला करने के दौरान उसे संविधान के अनुसार विचार करना होगा। न्यायालय ने कहा कि वह इस पर विचार नहीं करेगा कि समाज के एक बड़े हिस्से को या समाज के एक छोटे हिस्से को क्या स्वीकार्य है, बल्कि वह संविधान के अनुसार विचार करेगा, क्योंकि विरोधी पक्ष अपने दावों के समर्थन में भारी मात्रा में दस्तावेज पेश करेगा।

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मुद्दे पर सातवें दिन सुनवाई शुरू होने पर न्यायालय से कहा कि सरकार कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करेगी, जो समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने के मुद्दे को छुए बिना ऐसे जोड़ों की कुछ ‘वास्तविक मानवीय चिंताओं’ को दूर करने के प्रशासनिक उपाय तलाशेगी। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि न्यायालय संविधान के अनुसार विचार करेगा। 

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल ने कहा कि उन्होंने विभिन्न संगोष्ठियों में समलैंगिक लोगों से बात की और उनमें से 99 प्रतिशत ने कहा कि वे आपस में शादी करना चाहते हैं। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों में समलैंगिकों से बात की और पाया कि युवा समलैंगिक जोड़े विवाह करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक संभ्रांत अधिवक्ता के तौर पर यह नहीं कह रही हूं। मैंने यह इन युवाओं से हुई मुलाकात के आधार पर कहा है। उन्हें वह महसूस नहीं करने दीजिए, जो हमने किया है।’’

पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति एस आर भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल हैं। गुरुस्वामी को जवाब देते हुए, प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘डॉ गुरुस्वामी, दलील की एक पंक्ति में समस्या है। मैं आपसे कहना चाहूंगा कि ऐसा क्यों है। हम उस भावना को समझते हैं जहां से यह दलील आई है। संवैधानिक स्तर पर एक गंभीर समस्या है।’’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि एक संवैधानिक अदालत होने के नाते यदि शीर्ष न्यायालय इन युवा जोड़ों की भावनाओं पर विचार करेगा, तो अन्य लोगों की भावनाओं पर बड़ी मात्रा में दस्तावेज पेश किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसलिए यह जरूरी है कि न्यायालय संविधान के अनुसार मुद्दे पर आगे बढ़े। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम इस पर नहीं जाएंगे कि समाज के एक बड़े हिस्से को या समाज के एक छोटे हिस्से को क्या स्वीकार्य है, बल्कि संविधान के अनुसार विचार करेंगे।’’ सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता विवाह करने का अधिकार चाहते हैं और न्यायालय भी इस तथ्य के प्रति सचेत है, लेकिन सिर्फ विवाह के अधिकार की घोषणा कर देना ही खुद में पर्याप्त नहीं होगा, जब तक कि इसे सांविधिक प्रावधान द्वारा लागू नहीं किया जाता। इस मामले में अगली सुनवाई नौ मई को होगी। 

(इनपुट - एजेंसी)

Web Title: Supreme Court said consider according to the constitution while deciding on the gay marriage issue

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