राफेल सौदाः SC में पुनर्विचार याचिका पर तीखी बहस, सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने सुरक्षित रखा फैसला  

By रामदीप मिश्रा | Published: March 14, 2019 04:47 PM2019-03-14T16:47:41+5:302019-03-14T16:47:41+5:30

राफेल सौदाः सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों के तहत कोई भी संबंधित विभाग की अनुमति के बिना अदालत में गोपनीय दस्तावेज पेश नहीं कर सकता।

supreme Court reserves order on leaked documents in Rafale case | राफेल सौदाः SC में पुनर्विचार याचिका पर तीखी बहस, सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने सुरक्षित रखा फैसला  

राफेल सौदाः SC में पुनर्विचार याचिका पर तीखी बहस, सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने सुरक्षित रखा फैसला  

सुप्रीम कोर्ट ने (14 मार्च) राफेल लड़ाकू विमान सौदे के मामले में अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इस दौरान केन्द्र का कहना था कि पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता गैरकानूनी तरीके से प्राप्त किए गए विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों को आधार नहीं बना सकते।

सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों के तहत कोई भी संबंधित विभाग की अनुमति के बिना अदालत में गोपनीय दस्तावेज पेश नहीं कर सकता। साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 और आरटीआई कानून के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए राफेल दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा किया। केन्द्र ने को राफेल लड़ाकू विमानों से संबंधित दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा किया और उच्चतम न्यायालय से कहा कि संबंधित विभाग की अनुमति के बगैर कोई भी इन्हें पेश नहीं कर सकता। 

एजी ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि कोई भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज प्रकाशित नहीं कर सकता। राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है। इस पर प्रशांत भूषण ने न्यायालय से कहा कि राफेल के जिन दस्तावेजों पर अटार्नी जनरल विशेषाधिकार का दावा कर रहे हैं, वे प्रकाशित हो चुके हैं और सार्वजनिक दायरे में हैं। सूचना के अधिकार कानून के प्रावधान कहते हैं कि जनहित अन्य चीजों से सर्वोपरि है और खुफिया एजेन्सियों से संबंधित दस्तावेजों पर किसी प्रकार के विशेषाधिकार का दावा नहीं किया जा सकता।

भूषण ने न्यायालय से कहा कि राफेल के अलावा ऐसा कोई अन्य रक्षा सौदा नहीं है जिसमें कैग की रिपोर्ट में कीमतों के विवरण को संपादित किया गया। उच्चतम न्यायालय ने भूषण से कहा कि हम केंद्र की प्रारंभिक आपत्ति पर फैसला करने के बाद ही मामले के तथ्यों पर विचार करेंगे। 

वहीं, भूषण ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम में पत्रकारों के सूत्रों के संरक्षण के प्रावधान हैं। हमने जो दस्तावेज दाखिल किये हैं या जिन्हें आधार बनाया है, उनका राष्ट्र की सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ के समक्ष केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अपने दावे के समर्थन में साक्ष्य पेश किए। यह पीठ राफेल विमान सौदे के मामले में अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। ये पुनर्विचार याचिका पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दायर कर रखी थी।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के आधार पर)

Web Title: supreme Court reserves order on leaked documents in Rafale case

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