सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के सोर्स कोड के स्वतंत्र ऑडिट की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की, हस्तक्षेप से इंकार किया
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: September 22, 2023 02:49 PM2023-09-22T14:49:14+5:302023-09-22T14:50:51+5:30
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह मामला संवेदनशील नीतिगत मुद्दों से संबंधित है और इसलिए, अदालत इसमें हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के सोर्स कोड के स्वतंत्र ऑडिट की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह मामला संवेदनशील नीतिगत मुद्दों से संबंधित है और इसलिए, अदालत इसमें हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है।
शुरुआत में याचिकाकर्ता सुनील अहया व्यक्तिगत रूप से पक्षकार के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने अदालत के समक्ष जोर देकर कहा कि 'सोर्स कोड' ईवीएम के मस्तिष्क की तरह है और इसलिए इसका ऑडिट करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि किसी भी सार्वजनिक डोमेन में सोर्स कोड की कोई औपचारिक ऑडिट रिपोर्ट मौजूद नहीं है और यहां तक कि जब उन्होंने इसके लिए आरटीआई आवेदन दायर किया, तो भारत का चुनाव आयोग (ईसीआई) उन्हें यह प्रदान नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि उन्होंने ईसीआई को तीन अभ्यावेदन दिए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
सुनील अहया ने इस तरह की ऑडिटिंग को "लोकतंत्र के अस्तित्व" के लिए आवश्यक बताते हुए पीठ से उनकी याचिका पर विचार करने का आग्रह किया। हालाँकि, पीठ ने जनहित याचिका पर विचार करने के प्रति अपनी अनिच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में सुरक्षा के लिए आवश्यक सुरक्षा ऑडिट पहले से ही मौजूद हैं। सीजेआई ने रेखांकित किया कि ऐसी चीजें सार्वजनिक डोमेन में प्रदान नहीं की जा सकतीं क्योंकि आपराधिक तत्वों द्वारा उनका दुरुपयोग किया जा सकता है।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने यह दिखाने के लिए इस अदालत के समक्ष कोई कार्रवाई योग्य सामग्री नहीं रखी है कि ईसीआई ने अपने संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग किया है। यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं रखी गई है कि ईसीआई अपने दायित्वों को पूरा नहीं कर रहा है।
बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को लेकर कई राजनीतिक दल भी सवाल उठा चुके हैं। विपक्षी दलों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जा चुके हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने भी हर बार इस बात से इंकार किया है कि ईवीएम से छेड़छाड़ कर नतीजे प्रभावित किए जा सकते हैं।