उच्चतम न्यायालयः कॉलेजियम की सिफारिश, नौ में से तीन न्यायाधीश प्रधान न्यायाधीश बन सकेंगे, देखें लिस्ट
By भाषा | Published: August 19, 2021 09:36 PM2021-08-19T21:36:58+5:302021-08-19T21:38:45+5:30
Supreme Court: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने सर्वोच्च अदालत में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए केंद्र को नौ नामों की सिफारिश की है।
Supreme Court: उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने जिन नौ न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए की है, उनमें से तीन भारत के प्रधान न्यायाधीश बन सकेंगे।
यदि प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को केंद्र मंजूरी देता है, तो फरवरी 2027 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत के सेवानिवृत्त होने पर न्यायमूर्ति विक्रम नाथ भारत के मुख्य न्यायाधीश बन जाएंगे।
मंजूरी दी जाने की सूरत में न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति नाथ का स्थान लेंगी, जोकि भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बन जाएंगी और न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में कार्यकाल एक महीने से अधिक का होगा। मंजूरी मिलने के परिदृश्य में, वरिष्ठ वकील पी एस नरसिम्हा भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति नागरत्ना का स्थान लेंगे और उनका कार्यकाल छह महीने से अधिक का होगा।
कॉलेजियम की सिफारिश पर सीधे पदोन्नत होने वाले छठे वकील बन सकते हैं नरसिम्हा
वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस नरसिम्हा उच्चतम न्यायालय के 71 वर्ष के इतिहास में ऐसे छठे अधिवक्ता बन सकते हैं जिन्हें कॉलेजियम की सिफारिश पर बार से सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत किया जा सकता है। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने शीर्ष अदालत में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए केंद्र को जिन नौ नामों की सिफारिश की है जिनमें नरसिम्हा का नाम भी शामिल है जो पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल हैं।
यदि अनुशंसित नामों को नियुक्ति के लिए मंजूरी दे दी जाती है तो नरसिम्हा 1993 में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली के अस्तित्व में आने के बाद बार से सीधे पीठ में पदोन्नत होने वाले छठे वकील बन जाएंगे। वर्ष 1993 के बाद, पांच वकीलों - एन संतोष हेगड़े, आर एफ नरीमन, यू यू ललित, एल एन राव और इंदु मल्होत्रा - बार से सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत होने के बाद शीर्ष अदालत के न्यायाधीश बने। न्यायमूर्ति ललित और न्यायमूर्ति राव उच्चतम न्यायालय में वर्तमान में न्यायाधीश हैं।
न्यायमूर्ति ललित अगले साल 26 अगस्त को न्यायमूर्ति रमण के सेवानिवृत्त होने के बाद सीजेआई बनने की कतार में हैं। कॉलेजियम प्रणाली के अस्तित्व में आने से पहले, तीन अधिवक्ताओं को बार से सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत किया गया था।
न्यायमूर्ति एस एम सीकरी, जो जनवरी 1971 में 13वें सीजेआई बने थे, मार्च 1964 में सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में सीधे पदोन्नत होने वाले पहले वकील थे। अन्य दो वकील जिन्हें बार से सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत किया गया था, वे- न्यायमूर्ति सुबिमल चंद्र रॉय और न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह थे।
कॉलेजियम ने तीन महिला न्यायाधीशों के नामों की उच्चतम न्यायालय में नियुक्ति की सिफारिश की
उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने एक अभूतपूर्व निर्णय के तहत तीन महिला न्यायाधीशों को उच्चतम न्यायालय में नियुक्त करने की सिफारिश की है और अगर इसे मंजूरी दी जाती है तो न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना 10 फरवरी 2027 को भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बन सकती हैं।
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने सर्वोच्च अदालत में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए केंद्र को नौ नामों की सिफारिश की है। 26 जनवरी 1950 को गठित उच्चतम न्यायालय में अब तक काफी कम संख्या में महिला न्यायाधीश नियुक्त हुई हैं और पिछले 71 वर्षों में केवल आठ महिला न्यायाधीश की नियुक्ति हुई है।
सबसे पहले एम. फातिमा बीबी 1989 में उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश बनी थीं। वर्तमान में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी एकमात्र महिला न्यायाधीश हैं जो उच्चतम न्यायालय में सेवारत हैं। वह सात अगस्त 2018 को मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से पदोन्नत होकर उच्चतम न्यायालय आई थीं।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना के अलावा गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और तेलंगाना उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली के नाम की भी उच्चतम न्यायालय में नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई है। पांच सदस्यीय कॉलेजियम में न्यायमूर्ति यू. यू. ललित, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव भी शामिल हैं।