सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस मामले में गुजरात सरकार को 11 दोषियों की रिहाई के सभी दस्तावेज 2 हफ्ते के भीतर दाखिल करने का आदेश दिया

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 9, 2022 07:25 PM2022-09-09T19:25:51+5:302022-09-09T19:52:49+5:30

देश की सर्वोच्च अदालत ने गुजरात सरकार को आदेश दिया है कि वो 2 हफ्तों के भीतर गोधरा हिंसा के दौरान गैंगरेप की शिकार हुई बिलकिस बानो मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 11 दोषियों को सजा में छूट देने से संबंथित सारे साक्ष्य कोर्ट में पेश करे।

Supreme Court ordered the Gujarat government to file all the documents of the release of 11 convicts within 2 weeks in the Bilkis case | सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस मामले में गुजरात सरकार को 11 दोषियों की रिहाई के सभी दस्तावेज 2 हफ्ते के भीतर दाखिल करने का आदेश दिया

फाइल फोटो

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस मामले में दोषियों की सजा माफी का सारा रिकॉर्ड दाखिल करने का आदेश दियासुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए गुजरात सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है कोर्ट ने सांसद महुआ मोइत्रा की याचिका पर गुजरात सरकार और 11 दोषियों को नोटिस जारी किया

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार द्वारा बीते 15 अगस्त के बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषियों की सजा माफ किये जाने के विषय में राज्य सरकार को आदेश जारी किया है कि वो कोर्ट के सामने दोषियों की सजा माफ करने की कार्यवाही का पूरा रिकॉर्ड दाखिल करें।

देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार ने 2002 में हुए गोधरा हिंसा के दौरान गैंगरेप की शिकार हुई बिलकिस बानो और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों को छूट देने में जिस प्रक्रिया का पालन किया है, उसे वो कोर्ट से समक्ष प्रस्तुत करे।

सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्न की बेंच ने इस विषय को गंभीर मानते हुए गुजरात सरकार को आदेश दिया कि सभी 11 दोषियों की माफी के संबंधित जितने भी प्रासंगिक तथ्य हैं, उन्हें राज्य सरकार दो सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करे।

इसके साथ ही बेंच ने दोषियों की रिहाई के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस की महिला सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा दायर की याचिका पर गुजरात सरकार और सभी 11 दोषियों को नोटिस भी जारी किया।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस मामले में माकपा सदस्य सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लौल और सामाजिक कार्यकर्ता और प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा द्वारा दायर याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया था। सभी याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि वो राज्य सरकार के फैसले को निरस्त करते हुए सभी 11 दोषियों के फिर से जेल भेजें।

याचिका में कहा गया था कि गैंगरेप जैसे गंभीर अपराध में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों को माफी दिये जाना फैसले सभ्य समाज के लिए बेहद घातक हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट मामले में दखल दे और राज्य सरकार के फैसले को निरस्त करते हुए सभी दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करवाकर वापस जेल भेजे।

यचिका में यह भी कहा गया है, “बिलकिस मामले में दोषियों की सजा माफी में ऐसा प्रतीत होता है कि गुजरात सरकार में सत्ताधारी दल और उसके विधायकों ने संविधान की मूल भावना के साथ छल किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि दोषियों को माफी देने वाले सक्षम प्राधिकारी फैसले लेने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं थे और उनपर राज्य सरकार का दबाव था कि सभी दोषियों को रिहा कर दिया जाए।"

तीन महिलाओं द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि वो सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के जरिये गुजरात सरकार के उस सक्षम प्राधिकारी के आदेश को चुनौती दे रही हैं, जिसके तहत गुजरात सरकार ने गैंगरेप और हत्या जैसे जघन्य अपराध के लिए सजा पाये हुए 11 दोषियों को गोधरा जेल से 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया।

याचिका में कोर्ट से यह भी कहा गया है कि गुजरात सरकार द्वारा इस जघन्य मामले में दी गई छूट पूरी तरह से जनहित के खिलाफ है और अगर सरकार के फैसले को नहीं बदला जाता है तो देश के संविधान पर गहरी चोट साबित होगा। गुजरात सरकार के इस फैसले के कारण पीड़िता बिलकिस बानो के खिलाफ अन्याय होता और साथ में उनकी सुरक्षा को लेकर भी गहरा प्रश्न खड़ा हो जाएगा।

मालूम हो कि गुजरात सरकार ने बीते 15 अगस्त को बिलकिस बानो गैंग रेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोष में उम्र कैद की सजा काट रहे कुल 11 लोगों को गोधरा जेल से रिहा कर दिया था। गुजरात सरकार का यह फैसला काफी विवादित माना जा रहा है और देश के कई हिस्सों में इस फैसले को लेकर लोगों में काफी रोष है। 

Web Title: Supreme Court ordered the Gujarat government to file all the documents of the release of 11 convicts within 2 weeks in the Bilkis case

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