जस्टिस जोसेफ पर कोलेजियम और सरकार के बीच घमासान जारी, SC में दायर की गई जनहित याचिका

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: May 4, 2018 04:42 IST2018-05-04T04:42:07+5:302018-05-04T04:42:07+5:30

कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति की सुप्रीम कोर्ट ने सिफारिश थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसको केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया था।

supreme court justice km joseph collegium central government indu malhotra | जस्टिस जोसेफ पर कोलेजियम और सरकार के बीच घमासान जारी, SC में दायर की गई जनहित याचिका

जस्टिस जोसेफ पर कोलेजियम और सरकार के बीच घमासान जारी, SC में दायर की गई जनहित याचिका

नई दिल्ली, 4 मई: कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति की सुप्रीम कोर्ट ने सिफारिश थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसको केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया था। अब इस  मामले में महाराष्ट्र के रिटायर्ड जिला जज जी डी इनामदार ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।

इस याचिका में जस्टिस जोसफ और इंदु मल्होत्रा के लिए की गई कोलेजियम की सिफारिशों को अलग करने की सरकार की कार्रवाई को असंवैधानिक, गैरकानूनी और मनमानी करार दिए जाने की बात कही गई है।

 इतना ही नहीं इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से आदेश दिया जाए कि वह जस्टिस  के लिए कोलेजियम की सिफारिश को जल्द स्वीकार करे। साथ ही चार महीने पहले भेजी सिफारिश के आधार पर  सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने को अपनी मंजूरी दे।

इतना ही नहींइस जनहित याचिका में ये भी उल्लेख किया गया है कि न्यायपालिका की संस्थानिक स्वतंत्रता और अखण्डता को बचाए रखना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि केंद्र सरकार इसे कुचलना चाहती है। वहीं, इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसार ने सफाई पेश की थी। उन्होंने कहा था कि इस सिफारिश ठुकराने के पीछे उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का मामला कतई नहीं है।

खबर के अनुसार  बुधवार को सरकार ने इस बात को खारिज कर दिया कि उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ की सुप्रीम में नियुक्ति के प्रस्ताव को उसने इसलिए ठुकरा दिया कि उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को पलट दिया था। ऐसे में अब कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस पूरे प्रकरण पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के तीन फैसलों से सरकार को यह अधिकार है कि वह न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा भेजे गए  प्रस्तावों पर एक बार फिर से विचार करने के लिए कह सकती है। 

उन्होंने कहा है कि अपने रूख का समर्थन करने के लिए उनके पास दो स्पष्ट कारण हैं। उन्होंने कि राज्य में जनता के बहुमत पर सरकार बनी है। खुद सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने उस आदेश (न्यायमूर्ति जोसेफ) की पुष्टि की थी और न्यायमूर्ति खेहर ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून को भी खारिज कर दिया था।

 दरअसल 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति केएम जोसेफ को पदोन्नति देकर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनाने और वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दु मल्होत्रा को सीधे सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी लेकिन उनकी फाइल को लौटा दिया गया था।

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