सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई आज, कश्मीर में दो दिन के बंद का आह्वान, अमरनाथ यात्रा ठप्प
By आदित्य द्विवेदी | Published: August 6, 2018 05:39 AM2018-08-06T05:39:45+5:302018-08-06T05:39:45+5:30
अनुच्छेद 35 ए राष्ट्रपति के 1954 के आदेश से संविधान में शामिल किया गया था जो जम्मू कश्मीर के स्थानीय निवासियों को विशेष दर्जा प्रदान करता है।
जम्मू, 6 अगस्तःसुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35-ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई हो सकती है। इसके विरोध में कश्मीर में तनाव के हालात पैदा हो गए हैं। रविवार को कई जिलों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने इसके विरोध में दो दिन के बंद का आह्वान किया है। इससे अमरनाथ यात्रा रोक दी गई है। दूसरी तरफ माकपा की जम्मू कश्मीर इकाई ने अनुच्छेद 35 ए के मुद्दे पर आज सरकार को आगाह किया और केंद्र से आग्रह किया कि वह ‘व्यापक राष्ट्रीय हित’ में संवैधानिक प्रावधान की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दायर करे। अनुच्छेद 35 ए राष्ट्रपति के 1954 के आदेश से संविधान में शामिल किया गया था जो जम्मू कश्मीर के स्थानीय निवासियों को विशेष दर्जा प्रदान करता है।
माकपा ने आगाह किया
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 35-ए को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने जा रहा है। इसके मद्देनजर माकपा ने केंद्र सरकार को आगाह किया है। माकपा के क्षेत्रीय सचिव शाम प्रसाद केसर ने एक बयान में कहा कि अनुच्छेद 35 ए से छेड़छाड़ के किसी भी प्रयास के घातक परिणाम होंगे। केंद्र को व्यापक राष्ट्रीय हित में इस प्रावधान की रक्षा के लिए जवाबी हलफनामा दायर करना चाहिए।
रविवार को शांतिपूर्ण रहा प्रदर्शन
रविवार को कश्मीर के कई जिलों में शांति पूर्ण प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने जम्मू कश्मीर के बाहर के लोगों को राज्य में कोई अचल संपत्ति हासिल करने से रोकने वाले संवैधानिक प्रावधान को बचाने का संकल्प लिया। व्यावसायिक संगठनों ने अनुच्छेद 35-ए के समर्थन में लाल चौक में घंटा घर पर धरना दिया और विरोध मार्च निकाला।
रोकी गई अमरनाथ यात्रा
दो दिन की हड़ताल के चलते रविवार को जम्मू से अमरनाथ यात्रा स्थगित कर दी गई। अधिकारियों के मुताबिक अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू में डेरा डाले तीर्थयात्रियों को रविवार सुबह भगवती नगर आधार शिविर से आगे जाने की अनुमति नहीं दी गई।
क्या है अनुच्छेद 35-ए
अनुच्छेद 35 ए राष्ट्रपति के 1954 के आदेश से संविधान में शामिल किया गया था जो जम्मू कश्मीर के स्थानीय निवासियों को विशेष दर्जा प्रदान करता है। इस आर्टिकल के तहत, जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों को यहां जमीन खरीदने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा राज्य के बाहर किसी व्यक्ति शादी करने वाली महिला से संपत्ति का अधिकार छीनता है।
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