सुप्रीम कोर्ट ने दिया बिहार सरकार को झटका, सीबीआई को सौंपी सभी शेल्टर होम केसों की जांच
By पल्लवी कुमारी | Published: November 28, 2018 01:07 PM2018-11-28T13:07:08+5:302018-11-28T13:07:08+5:30
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस), मुम्बई द्वारा अप्रैल में बिहार के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर बालिक गृह का मामला सबसे पहले सामने आया था। इस घटना के बाद जांच किए जाने पर बिहार के 110 में 17 शेल्टर होम में रेप की पुष्टि हुई थी। जिसकी एफआईआर और मामलों की जांच में बिहार सरकार और पुलिस लगातार लापरवाही बरत रही थी।
बिहार मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए बिहार शेल्टर होम केस को सीबीआई को सौंप दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिहार सरकार और पुलिस दोनों सही तरीके से काम नहीं कर पा रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई बिहार सरकार की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की उस मांग को ठुकरा दिया, जिसमें उसने जवाब दाखिल करने लिए और समय की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि सीबीआई बिहार के सभी 17 शेल्टर मामलों की जांच करेगी। सीबीआई ने इसकी तैयारियां भी कर ली है। सीबीआई ने भी कोर्ट में कहा है कि उन्हें इस केस को लेने को तैयार हैं।
Muzaffarpur(Bihar) shelter home case: Supreme Court orders for transferring investigation against all the 17 shelter homes and their owners in the state to CBI. A TISS report had alleged sexual abuse of children. pic.twitter.com/ceYvc23Xb5
— ANI (@ANI) November 28, 2018
हालांकि सुनवाई के वक्त वकील ने अदालत से कहा कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव इस मामले पर विचार करने में असमर्थ हैं, क्योंकि उन्हें कोई भी प्रमुख नीति निर्णय लेने से रोक गया है।
अदालत ने सीबीआई वकील से फोन पर निर्देश मांगने के लिए कहा, " आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के मामले में आदेश का यह मतलब नहीं है कि सीबीआई द्वारा मामलों में जांच बंद हो जाएगी।"
बता दें कि आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को विवाद के बीच छुट्टी पर भेजने के बाद राव को सीबीआई के अंतरिम प्रमुख नियुक्त किया गया था लेकिन उन्हें कहा गया था कि उन्हें कोई भी नीतिगत फैसले करने का हक नहीं है।
शेल्टर केस में बिहार सरकार कर रही थी लापरवाही
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार की नीतीश कुमार सरकार को फिर फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुख्य सचिव को बोला था, यह बड़े शर्म की बात है कि बिहार में बच्चों के साथ गलत हुआ है लेकिन ये कहते हैं कि कुछ नहीं हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, बिहार की सरकार क्या कर रही है? जब हमने पहले ही कह दिया था कि इस मसले को हम प्रथामिकता से ले रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से सवाल किए, एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की? जांच कैसे कर रहे हैं? देरी से एफआईआर दर्ज करने का मतलब क्या रह जाता है? क्या सीबीआई की ओर से दिए जा रहे फॉलोअप को बिहार सरकार अमल में ला रही है?
मुजफ्फरपुर बालिक गृह के मामले के बाद सामने आए थे कई शेल्टर होम के नाम
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस), मुम्बई द्वारा अप्रैल में बिहार के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर बालिक गृह का मामला सबसे पहले सामने आया था।
बालिका गृह में रहने वाली 42 में से 34 लड़कियों के मेडिकल टेस्ट में उनके साथ यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई है। एनजीओ ‘सेवा संकल्प एवं विकास समिति’ द्वारा चलाए जा रहे बालिका गृह का मालिक बृजेश ठाकुर इस मामले में मुख्य आरोपी है।
इस मामले में 31 मई को 11 लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। ठाकुर समेत 10 लोगों को तीन जून को गिरफ्तार किया गया था। इस घटना के जांच के बाद बिहार के 110 में 17 शेल्टर होम में रेप की पुष्टि हुई थी। जिसकी एफआईआर और मामलों की जांच में बिहार सरकार और पुलिस लगातार लापरवाही बरत रही थी।