सुप्रीम कोर्ट ने कार्यरत डॉक्टरों के लिए NEET पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कोर्स में सीटों पर आरक्षण को मंजूरी देने की इजाजत राज्यों को दी है। कोर्ट ने सोमवार को अहम आदेश सुनाते हुए कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को सरकारी डॉक्टरों को पीजी में एडमिशन के लिए आरक्षण देने या नहीं देने संबंधी फैसला करने का कोई अधिकार नहीं है। पांच जजों की बेंच ने ये अहम फैसला सुनाया।
जस्टिस अरुण मिश्रा, विनीत सारन, इंदिरा बैनर्जी, एमआर शाह और अनिरुद्ध बोस की बेंच इस मामले पर फैसला सुनाया। इस याचिका को तमिलनाडु मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन और अन्य लोगों की ओर से दायर किया गया था। इस मामले पर 14 जुलाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस याचिका को तमिलनाडु सहित केरल, महाराष्ट्र और हरियाणा के डॉक्टरों की ओर से भी दायर किया गया था। इस याचिका में कहा गया था कि आरक्षण का लाभ देने से सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण इलाकों में काम करने को प्रोत्साहन मिलेगा।
इन सभी ने अपनी याचिका में पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन-2000 को चुनौती दी थी। इसे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने बनाया था। बता दें कि पीजी डिप्लोमा कोर्स में 50 प्रतिशत सीट सरकारी सेवा में रह रहे मेडिकल अफसरों के लिए आरक्षित हैं लेकिन एमसीआई ने इसे पीजी डिग्री कोर्स में लागू करने से इनकार किया था।