कश्मीर टाइम्स की एडिटर अनुराधा भसीन की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करने पर करेगा विचार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 13, 2019 12:38 PM2019-08-13T12:38:44+5:302019-08-13T12:38:44+5:30

भारत सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को वापस लेते हुए जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया है।

Supreme Court admits Kashmir Times editor’s petition against curbs on journalists | कश्मीर टाइम्स की एडिटर अनुराधा भसीन की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करने पर करेगा विचार

कश्मीर टाइम्स की एडिटर अनुराधा भसीन की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करने पर करेगा विचार

Highlightsकांग्रेस कार्यकर्ता ने पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है जो इस समय हिरासत में हैं।कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला याचिका में दावा किया है कि केन्द्र के फैसलों से संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है।

जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के बाद घाटी में कामकाजी पत्रकारों पर पाबंदियों लगा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने आज ( 13 अगस्त) को कहा है कि वह कश्मीर टाइम्स की एक्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन की अर्जी पर जल्द सुनवाई करने पर विचार करेंगे। कश्मीर टाइम्स की एक्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन ने धारा  370 के हटने के बाद घाटी में कामकाजी पत्रकारों पर लगी पाबंदियों को चुनौती दी है।

अनुराधा भसीन चाहती हैं कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान निरस्त किये जाने के बाद राज्य में पत्रकारों के कामकाज पर लगाये गये प्रतिबंध हटाये जायें।

वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा है कि वह अनुच्छेद 370 के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं लेकिन वह चाहते हैं कि वहां से कर्फ्यू एवं पाबंदियां तथा फोन लाइन, इंटरनेट और समाचार चैनल अवरूद्ध करने सहित दूसरे कथित कठोर उपाय वापस लिये जायें।

इसके अलावा, कांग्रेस कार्यकर्ता ने पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है जो इस समय हिरासत में हैं। इसके साथ ही उन्होंने जम्मू और कश्मीर की वस्तुस्थिति का पता लगाने के लिये एक न्यायिक आयोग गठित करने का भी अनुरोध किया है। उन्होंने याचिका में दावा किया है कि केन्द्र के फैसलों से संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है।

Web Title: Supreme Court admits Kashmir Times editor’s petition against curbs on journalists

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