मुस्लिम महिलाओं के खतना मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 20 अगस्त को
By स्वाति सिंह | Published: August 9, 2018 03:41 PM2018-08-09T15:41:55+5:302018-08-09T15:52:37+5:30
सुप्रीम कोर्ट में बोहरा सम्प्रदाय की महिलाओं में खतना की अमानवीय प्रथा के खिलाफ याचिका साल 2017 में हुई थी।
नई दिल्ली, 9 अगस्त:सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्त्री-खतना की सुनवाई 20 अगस्त को करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में बोहरा सम्प्रदाय की महिलाओं में खतना की अमानवीय प्रथा के खिलाफ याचिका साल 2017 में हुई थी। पिछली सुनवाई के दौरान खतना पर प्रतिबंध करने के लिए एक लिखित याचिका की सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से जवाब मांगा तो उसके पास भारत में एफजीएम के अस्तित्व का समर्थन करने वाला कोई आधिकारिक आंकड़ा अध्ययन नहीं था।
खतना मुस्लिम धर्म में केवल पुरूषों पर किया जाता है। मुस्लिम धर्म में इसे 'पाकी' के नाम पर किया जाता है। हालांकि वैज्ञानिकों भी इसे लाभदायक बताते हैं। उनका मानना है कि खतना के बाद कई खतरनाक बीमारियों से बचा जा सकता है। लेकिन लड़कियों के यह कुछ निश्चित समुदाय में ही होता है। इसके नहीं कई प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। इसके चलते इस पर रोक लगाने की मांग चल रही है।
क्या है स्त्री खतना
स्त्री खतना बोहरा मुस्लिम समुदाय की एक प्रथा है। इसमें जिसमें फीमेल जेनिटल कटिंग बचपन में ही काट दी जाती है। उनका मानना है कि उस अंग को काटने से स्त्री की मासिक धर्म और प्रसव पीड़ा कम हो जाती है। इस प्रथा के दौरान कुछ औरतें बच्ची के हाथ-पैर पकड़कर बैठती हैं वहीं एक औरत चाकू या ब्लेड जैसी किसी चीज से क्लाइटोरल हुड काट देती है। कई केस में बच्चियों की मौत भी हो जाती है।
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों के लिए यहाँ क्लिक करे. यूट्यूब चैनल यहाँ सब्सक्राइब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट!