उत्तर कर्नाटक के गन्ने और मक्के के खेत तेंदुओं के लिए नए आश्रय स्थल

By अनुभा जैन | Updated: October 28, 2024 14:46 IST2024-10-28T14:46:00+5:302024-10-28T14:46:09+5:30

2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक में गन्ना उगाने वाला क्षेत्र 10 लाख हेक्टेयर हो गया जो 2019-20 में महज 7.65 लाख हेक्टेयर ही था और, पिछले चार वर्षों के दौरान मक्के का खेत भी 15 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 20.13 लाख हेक्टेयर हो गया है।

Sugarcane and maize fields of North Karnataka are new havens for leopards | उत्तर कर्नाटक के गन्ने और मक्के के खेत तेंदुओं के लिए नए आश्रय स्थल

उत्तर कर्नाटक के गन्ने और मक्के के खेत तेंदुओं के लिए नए आश्रय स्थल

बेंगलुरु: घने, ऊंचे पेड़ों वाले गन्ने और मक्के के खेत जानवरों, खासकर बड़ी बिल्लियों यानि तेंदुओं के छिपने के लिए आदर्श आश्रय स्थल बने हुये हैं. इन खेतों में मवेशी जैसे भेड़, आवारा कुत्ते, जंगली सूअर आदि शिकार पर्याप्त मात्रा में पाए भी जाते हैं. इसके अलावा, ये खेत तेंदुओं के प्रजनन के लिए पानी और सुरक्षित जगह भी प्रदान करते हैं। 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक में गन्ना उगाने वाला क्षेत्र 10 लाख हेक्टेयर हो गया जो 2019-20 में महज 7.65 लाख हेक्टेयर ही था और, पिछले चार वर्षों के दौरान मक्के का खेत भी 15 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 20.13 लाख हेक्टेयर हो गया है।

हालांकि, इससे उत्तर कर्नाटक के इन क्षेत्रों में पशु-मानव मुठभेड़ें बढ़ गई हैं। आवास का नुकसान, खनन और घटते शिकार तेंदुओं जैसे इन जानवरों को नए क्षेत्रों में जाने के लिए मजबूर करने वाले प्रमुख कारक हैं. समय के साथ तेंदुओं की आबादी बढ़ती जा रही है और इसी क्रम में कोप्पल में 2022 से तेंदुओं की बढ़ती आबादी के कारण 57 पशुधन की मौत हो गई है। 

कर्नाटक वन विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि कलबुर्गी, बेलगावी, बीदर और बागलकोट जिलों में पशुधन की हत्या के साथ कुल 82 मानव-तेंदुए संघर्ष की घटनाएं हुई हैं। इसी तरह, बागलकोट के यादहल्ली चिंकारा वन्यजीव अभयारण्य में जहां पहली बार 2015 में तेंदुए देखे गए थे, और वर्तमान में यादहल्ली और उसके आसपास 3 वयस्क तेंदुए हैं।

वन अधिकारियों को संदेह है कि इन तेंदुए ने कृष्णा नदी बेसिन में गन्ने के खेतों का इस्तेमाल किया और यादहल्ली में चले गए। इसी तरह, पिछले तीन वर्षों में, विजयपुरा जिले के गन्ने के खेतों में छह तेंदुए देखे गए हैं, जहां पहले तेंदुए के देखे जाने का शायद ही कोई रिकॉर्ड हो।

तेंदुए अन्य बस्तियों से आते हैं और गन्ने के सूखे खेतों में शरण लेते हैं यह परिदृश्य मादा तेंदुओं के प्रजनन के लिए उपयुक्त हो जाता है। गन्ने और मक्के के खेतों से तेंदुए के बच्चों को बचाना उत्तरी कर्नाटक में एक नियमित अभ्यास बन गया है।

Web Title: Sugarcane and maize fields of North Karnataka are new havens for leopards

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