पथविक्रेताओं के मौलिक अधिकार होते हैं लेकिन दूसरों के अधिकारों का हनन नहीं कर सकते: उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: October 30, 2021 23:01 IST2021-10-30T23:01:42+5:302021-10-30T23:01:42+5:30

Street vendors have fundamental rights but cannot infringe on the rights of others: High Court | पथविक्रेताओं के मौलिक अधिकार होते हैं लेकिन दूसरों के अधिकारों का हनन नहीं कर सकते: उच्च न्यायालय

पथविक्रेताओं के मौलिक अधिकार होते हैं लेकिन दूसरों के अधिकारों का हनन नहीं कर सकते: उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शनिवार को कहा कि कोई अधिकार संपूर्ण नहीं होता और इनका दूसरों के अधिकारों के साथ संतुलन बनाने की जरूरत है। उसने कहा कि पथ विक्रेताओं के मौलिक अधिकार होते हैं, लेकिन जब वे सार्वजनिक रास्ते का इस्तेमाल करते हैं तो वे दूसरों के चलने के अधिकार का हनन करते हैं।

पथ विक्रेता अधिनियम, 2014 पर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि फेरीवालों को हर बाजार में बैठने की उचित जगह मिलनी चाहिए।

अदालत ने कहा, ‘‘उनके पास एक उचित लाइसेंस होना चाहिए। तो आपको पुलिस को ‘हफ्ता’ नहीं देना होगा।’’

अदालत ने पूछा कि कानून को लागू करने में क्या अड़चन है। उसने कहा, ‘‘पिछले सात साल से क्या बाधा आ रही है?’’

पीठ ने कहा कि अधिकारियों को पथ विक्रय योजना बनानी चाहिए जिसमें सुरक्षा, स्वच्छता और मार्ग इत्यादि पहलुओं पर विचार होना चाहिए।

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Web Title: Street vendors have fundamental rights but cannot infringe on the rights of others: High Court

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