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कई दौर की वार्ता के बाद भी लद्दाख में चीन सीमा के कई क्षेत्रों में अभी भी तनाव कायम

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: August 23, 2022 16:08 IST

दोनों सेनाओं के बीच हुए समझौतों के बावजूद चीन ने फिलहाल उन क्षेत्रों को पूरी तरह से खाली नहीं किया है जहां विवाद चल रहा है। समझौतों के बावजूद चीनी सेना आक्रामक रूख अपनाते हुए उकसाने वाली हरकतें कर रही है। 

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ठळक मुद्देसमझौतों के बावजूद चीनी सेना आक्रामक रूख अपनाते हुए उकसाने वाली हरकतें जारीचीन ने फिलहाल उन क्षेत्रों को पूरी तरह से खाली नहीं किया है जहां विवाद चल रहा हैदोनों देशों की सेनाओं के बीच अप्रत्यक्ष तौर पर टकराव की स्थिति बरकरार

जम्मू: सोलह दौर की वार्ता के बाद भी लद्दाख में चीन से सटी एलएसी पर अभी भी कई इलाकों में दोनों पक्षों के बीच तनातनी का माहौल है। समझौतों के बावजूद चीनी सेना आक्रामक रूख अपनाते हुए उकसाने वाली हरकतें कर रही है। दरअसल दोनों सेनाओं के बीच हुए समझौतों के बावजूद चीन ने फिलहाल उन क्षेत्रों को पूरी तरह से खाली नहीं किया है जहां विवाद चल रहा है। 

कई इलाकों में वह कुछ मीटर पीछे हट कर जम गई थी। तो कई इलाकों में वह आ-जा रही है। एक सेनाधिकारी के बकौल, भारतीय पक्ष भी समझौता तोड़ने पर मजबूर हो सकता है क्योंकि लद्दाख के कई इलाकों में चीनी सेना की मौजूदगी भारतीय पक्ष के लिए खतरा साबित हो सकती है।

उनका मानना है कि चीनी सेना की इन हरकतों और समझौतों का पालन न करने की परिस्थिति में भारतीय सेना ने भी अब तीसरी सर्दियों में भी लद्दाख के इन सेक्टरों में डटे रहने और भारतीय सीमा की रक्षा करने की तैयारियां आरंभ कर दी हैं। 

सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख सेक्टर में करीब आठ स्थानों पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच अप्रत्यक्ष तौर पर टकराव की स्थिति अभी भी है। दरअसल चीनी सेना इन स्थानों से पीछे हटने पर हुए समझौतों के बावजूद टालमटोल की रणनीति अपनाए हुए है। 

पैंगांग झील के पीछे के किनारों पर 8 फिंगर अर्थात हाथों की 8 अंगुंलियों की तरह वाली पहाड़ी श्रृंखला पर चीनी सेना कथित तौर पर काबिज है। इन्हें भारतीय सेना पीपी के नाम से पुकारती है अर्थात पैट्रोलिंग प्वाइंट और चीनी सेना फिंगर 1 से 8 के नाम से। दौलत बेग ओल्डी की ओर जाने वाली सड़क के किनारों पर भी चीनी सेना लगातार गश्त करते हुए भारतीय इलाकों के लिए खतरा पैदा कर रही है जबकि देपसांग तथा कुछ और इलाकों में वह पूरी तरह से मोर्चाबंदी किए हुए है।

रक्षाधिकारी मानते हैं कि चीनी रवैये से यही लगता है कि लद्दाख सीमा का विवाद लंबा चलेगा। ऐसे विवाद कई पैट्रोलिंग प्वाइंटों पर हैं। कई इलाकों में हालांकि समझौतों के अनुरूप चीनी सेना ने कदम पीछे हटाए जरूर, पर वे नगण्य ही माने जा सकते हैं। 

गलवान वैली में वह एक किमी पीछे तो गई पर उसने बफर जोन बनवा कर एलएसी को ही सही मायने में एक किमी भारतीय क्षेत्र में धकेल दिया।फिंगर 4 के इलाके को ही लें, चीनी सेना मात्र कुछ मीटर पीछे हट कर पहाड़ियों पर लाभप्रद स्थिति में आ डटी और वहां से गुजरने वाल भारतीय सेना के गश्ती दल उसके सीधे निशाने पर आ गए। 

नतीजा सामने है। सेना के शब्दों में गश्त फिलहाल अस्थाई तौर पर स्थगित की गई है। उनके मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया ताकि चीनी सेना समझौते का पालन कर सके और उनकी वापसी की कार्रवाई के दौरान किसी पक्ष की ओर से कोई उकसावे वाली कार्रवाई न हो सके।ऐसा ही दौलत बेग ओल्डी तक जाने वाली सड़क पर भी है। 

वहां भी भारतीय गश्त नहीं है। चीनी सेना पहले ही इस सड़क पर होने वाली भारतीय सेना की गश्त से खुश नहीं थी। वह कई बार इस पर आपत्ति जता चुकी थी। और अब जबकि चीनी सेना को पीछे हटाने के लिए हुए समझौतों के अनुरूप, भारतीय सेना को भी कई इलाकों में पीछे हटना पड़ा पर चीनी सेना नहीं हटी।

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