"राज्यों को मिले आरक्षण की सीमा तय करने का अधिकार", तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 20, 2023 01:00 PM2023-09-20T13:00:28+5:302023-09-20T13:05:24+5:30
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में असमनता को कम करने के लिए संविधान द्वारा दिये जाने वाले आरक्षण को 50 फीसदी तक सीमित करने का विरोध किया है
नई दिल्ली/चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में असमनता को कम करने के लिए संविधान द्वारा दिये जाने वाले आरक्षण को 50 फीसदी तक सीमित करने का विरोध किया है और मांग की है कि संबंधित राज्यों को आरक्षण कोटा की सीम तय करने की अनुमति दी जाए।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने मंगलवार को नई दिल्ली में ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस के दूसरे सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "तमिलनाडु में अधिकतम आरक्षण सीमा 69 फीसदी है और इसे 50 फीसदी तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए।"
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ दल डीएमके के प्रमुख स्टालिन ने कहा कि इसलिए आबादी के आधार पर वर्गों के बीच योग्तायता तलाशने के लिए राज्यों को कोटा की मात्रा तय करने की अनुमति दी जाए। इसके साथ उन्होंने केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर आरक्षण नीति को ठीक से लागू नहीं करने का भी आरोप लगाया।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने तर्क दिया कि किसी भी राज्य को उसकी जनसंख्या के अनुपात के आधार पर आरक्षण देने की शक्ति मिलनी चाहिए ताकि वो अपने राज्य में जातियों और वर्गों के बीच समानता लाने का प्रयास अपने तरीके से कर सकें।
स्टालिन ने कहा, "इसलिए यह कहना सही नहीं है कि आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं जाना चाहिए। आरक्षण प्रदान करने का अधिकार राज्यों को मिलना चाहिए और यह शक्ति उन्हें हस्तांतरित की जानी चाहिए ताकि संबंधित राज्य अपने लोगों को उचित आरक्षण दे सकें।"
सीएम स्टालिन ने संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा आरक्षण को दिये गये समर्थन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह जानना बेहद दिलचस्प होगा कि यह आरएसएस तब कहां था जब पिछड़ी जातियों को सामाजिक न्याय प्रदान करने वाले वीपी सिंह सरकार को हटा दिया गया था। उन्होंने कहा, "क्या यह वो आरएसएस नहीं है? क्या अब मोहन भागवत हाशिये पर पड़े वर्गों को धोखा देने के लिए आरक्षण की बात कर रहे हैं क्योंकि लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "यदि भाजपा वास्तव में सामाजिक न्याय में रुचि रखती है तो उसने अपने 9 वर्षों के शासन के दौरान 27 फीसदी आरक्षण नीति लागू की होती। दरअसल भाजपा नहीं चाहती कि गरीब, पिछड़ी जातियों, एससी और एसटी प्रगति करें क्योंकि वो सामाजिक न्याय के खिलाफ हैं।"
स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने 1990 में मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए वीपी सिंह सरकार पर दबाव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जिस वीपी सिंह सरकार को भाजपा ने रथयात्रा के नाम पर गिरा दिया था।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में समता के सिद्धात को लागू करना ही डीएमके का मूलमंत्र है। उन्होंने कहा, "द्रविड़ आंदोलन सामाजिक न्याय और समतावादी समाज सुनिश्चित करने के लिए अस्तित्व में आया। द्रमुक के पूर्वजों ने साल 1916 में जस्टिस पार्टी गठित की और साल 1922 में सत्ता में आने के बाद जाति आधारित आरक्षण प्रदान किया था।
द्रविड़ आंदोलन के नेताओं ने न केवल तमिलनाडु के लोगों को सामाजिक न्याय प्रदान करने में बल्कि भारत के अन्य राज्यों के उत्पीड़ित लोगों को उनके अधिकार दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है।