कश्मीर में प्रवासी पक्षियों की बहार, अभी तक 8 लाख आए, आंकड़ा 12 से 14 लाख तक पहुंचने की उम्मीद
By सुरेश एस डुग्गर | Published: December 12, 2022 03:54 PM2022-12-12T15:54:57+5:302022-12-12T15:57:50+5:30
शालबाग के रेंज आफिसर मुहम्मद अशरफ काबली ने बताया कि घाटी में आने वाले कुछ पुराने पक्षी गीज, बार गीज, व्हाइट हील डक, शोवेलर, रेड-क्रेस्टेड पोचर्ड, व्हाइट-आइड पोचर्ड, कामन टील, पिंटेल, मैलार्ड, गडवाल, कूट, हुंक और ग्रेलैग हैं। इनमें से, पिंटेल, कामन टील और गडवाल इस वेटलैंड में अधिकतम संख्या में आते हैं।
जम्मू: कश्मीर में शांति की बयार के साथ ही प्रवासी पक्षियों की भी बहार आई हुई है। इस साल अभी तक अक्टूबर से कश्मीर में लगभग आठ लाख से कुछ अधिक प्रवासी पक्षी आए हैं। यह संख्या अगले कुछ दिनों में 12 से 14 लाख पहुंचने की भी उम्मीद जताई जा रही है। श्रीनगर के बाहरी इलाके में जैनकोट क्षेत्र में स्थित होकरसर के अतिरिक्त, शालबाग वेटलैंड में भी साइबेरिया, चीन और जापान से आने वाले लाखों प्रवासी पक्षियों ने डेरा लगाया है।
ये पक्षी अक्टूबर में ठंड की शुरूआत से ही आने शुरू हो गए थे। शालबाग के रेंज आफिसर मुहम्मद अशरफ काबली के बकौल, मौसम में सुधार के बाद उनकी संख्या बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि इस साल घाटी में कोई नया पक्षी नहीं आया है। काबली ने बताया कि घाटी में आने वाले कुछ पुराने पक्षी गीज, बार गीज, व्हाइट हील डक, शोवेलर, रेड-क्रेस्टेड पोचर्ड, व्हाइट-आइड पोचर्ड, कामन टील, पिंटेल, मैलार्ड, गडवाल, कूट, हुंक और ग्रेलैग हैं। इनमें से, पिंटेल, कामन टील और गडवाल इस वेटलैंड में अधिकतम संख्या में आते हैं।
यही नहीं मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में शालबाग वेटलैंड में ही इस बार 15000 के करीब प्रवासी पक्षियों ने डेरा जमाया है। एक अन्य अधिकारी के अनुसार, शालबाग वेटलैंड में इस बार एक प्रमुख पक्षी उत्सव आयोजित किया जाएगा क्योंकि प्रशासन को उम्मीद है कि इस अभयारण्य में अधिक से अधिक संख्या में प्रवासी पक्षी आएंगे। उनका कहना था कि इस वेटलैंड में इस बार जलस्तर भी बढ़ गया है और अब इसके आसपास बुनियादी ढांचा विकसित किया जाएगा व एक पुल का भी जीर्णाेद्धार किया जाएगा ताकि यहां और गतिविधियां संचालित की जा सकें।
कश्मीर की वाइल्ड लाइफ वार्डन वेटलैंड्स इफशान दीवान का कहना था कि उन्हें इस साल 12 से 14 लाख प्रवासी पक्षियों के आने की उम्मीद है। वे कहती थीं कि पक्षियों के अवैध शिकार को रोकने के लिए सभी नियंत्रण कक्ष सक्रिय कर दिए गए हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि ये पक्षी कश्मीर के पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने में सहायक हैं, इसलिए उन्हें उतना ही प्यार किया जाना चाहिए जितना हम अपने बच्चों को देते हैं।