बलात्कार के मामलों में यौन उत्पीड़न साबित करने के लिए वीर्य स्खलन जरूरी नहीं: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट

By भाषा | Published: April 19, 2023 11:45 AM2023-04-19T11:45:53+5:302023-04-19T11:49:13+5:30

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि यौन उत्पीड़न को साबित करने के लिए वीर्य का स्खलन एक जरूर शर्त नहीं है। एक शख्स ने बलात्कार के मामले में सजा पाने पर फैसले को चुनौती दी थी। इसी मामले में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।

Sperm ejaculation not necessary to prove sexual assault in rape cases says Andhra Pradesh HC | बलात्कार के मामलों में यौन उत्पीड़न साबित करने के लिए वीर्य स्खलन जरूरी नहीं: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट

बलात्कार मामलों में यौन उत्पीड़न साबित करने के लिए वीर्य स्खलन जरूरी नहीं: हाई कोर्ट (प्रतिकात्मक तस्वीर)

अमरावती: आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम मामले के तहत हाल में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की सजा बरकरार रखते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न को साबित करने के लिए वीर्य का स्खलन एक आवश्यक शर्त नहीं है।

न्यायमूर्ति चीकती मानवेंद्रनाथ रॉय ने कहा कि अगर रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य से पता चलता है कि यौन संबंध बनाया गया था, तो यह पॉक्सो अधिनियम की धारा तीन के तहत पारिभाषित यौन उत्पीड़न के अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त है।

न्यायमूर्ति रॉय ने 22 पृष्ठों के फैसले में कहा कि जब 12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध बनाए जाते हैं तो यह पोक्सो कानून की धारा 5(एम) के तहत यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है तथा धारा छह में दोषी के लिए सजा का प्रावधान है। वर्ष 2015 में एक नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न करने के दोषी व्यक्ति को 2016 में पश्चिम गोदावरी जिले के एलुरु में एक विशेष न्यायाधीश द्वारा 10 साल के कठोर कारावास तथा 5000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी।

बाद में, दोषी व्यक्ति ने डॉक्टर की रिपोर्ट का सहारा लेते हुए अपनी सजा को चुनौती दी, जिसमें कहा गया था कि पीड़िता के साथ यौन संबंध बनाने का कोई सबूत नहीं था क्योंकि परीक्षण के समय वीर्य की मौजूदगी का पता नहीं चला था। न्यायमूर्ति रॉय ने हालांकि कहा कि डॉक्टर ने जो अन्य ब्योरे दिए उनसे साफ संकेत मिलता है कि पीड़िता का यौन उत्पीड़न हुआ था।

Web Title: Sperm ejaculation not necessary to prove sexual assault in rape cases says Andhra Pradesh HC

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