स्पेशल रिपोर्ट: जानें क्यों PM मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को दिखाया गया बाहर का रास्ता?

By हरीश गुप्ता | Published: September 7, 2019 08:43 AM2019-09-07T08:43:36+5:302019-09-07T08:43:36+5:30

ऐसी खबरें हैं कि नृपेंद्र मिश्रा को गोवा या कर्नाटक में अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.

Special report: know why PM Modi's Principal Secretary Nripendra Mishra resigns | स्पेशल रिपोर्ट: जानें क्यों PM मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को दिखाया गया बाहर का रास्ता?

पीएम मोदी और अजीत डोभाल के साथ नृपेंद्र मिश्रा

Highlightsमोदी ने मिश्रा को प्रधान सचिव नियुक्त करने के लिए जून 2014 में अध्यादेश जारी कर कानून में संशोधन किया था. जुलाई 2014 के बाद से प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े मिश्रा की विदाई काफी रहस्यमय है. प्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा के पद छोड़ने की पेशकश दिल्ली के राजनीतिक और नौकरशाही गलियारे को अब भी चौंका रही है.

उनके पद छोड़ने के करीब एक सप्ताह बाद भी अब तक इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है कि आखिरकार प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में क्या हुआ था. यह रहस्य इसलिए और गहरा गया है कि क्योंकि पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से 2ए कृष्ण मेनन मार्ग का बंगला खाली करने के बाद इस वरिष्ठ नौकरशाह को जुलाई में यह आवंटित किया गया था.

हकीकत में इस बंगले का नवीनीकरण पूरी गति से चल रहा था जबकि चार साल पहले जेटली के इसमें आने से पहले इसमें आमूलचूल परिवर्तन किया गया था.

नृपेंद्र मिश्रा की जून में कैबिनेट स्तर पर पदोन्नति और जुलाई में नया बंगला आवंटित किए जाने और इसका नवीनीकरण दर्शाता है कि उनका इरादा प्रधानमंत्री कार्यालय और दिल्ली में ही रहना था.

उस समय यह भी खबर थी कि पूर्व कैबिनेट सचिव पी. के. सिन्हा को या तो नीति आयोग भेजा जाएगा अथवा मुख्य सतर्कता आयुक्त बनाया जाएगा.

इसी बीच अचानक नृपेंद्र मिश्रा ने पद छोड़ने की इच्छा जताई और प्रधानमंत्री ने बिना देर किए इसे स्वीकार कर लिया.

यही नहीं, प्रधानमंत्री ने उसी दिन पी. के. सिन्हा को अपने कार्यालय में विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) नियुक्त कर लिया.

जुलाई 2014 के बाद से प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े मिश्रा की विदाई काफी रहस्यमय है. प्रधानमंत्री ने उन्हें प्रधान सचिव नियुक्त करने के लिए जून 2014 में अध्यादेश जारी कर कानून में संशोधन किया था. इसका कारण उनका विवेकानंद रिसर्च फाउंडेशन (वीआरजी) से जुड़ाव माना गया था जहां उन्होंने अजीत डोभाल के साथ काम किया.

पहले डोभाल को प्रधानमंत्री कार्यालय में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर लाया गया और बाद में नृपेंद्र मिश्रा वहां पहुंचे.

मिश्रा ने अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित किया, वहीं अतिरिक्त प्रधान सचिव पी. के. मिश्रा ने सरकार में तबादलों, पोस्टिंग और नियुक्तियों का ध्यान रखा.

2018 के अंत में पीएमओ से खबरें आने लगी थीं कि नृपेंद्र मिश्रा सेवानिवृत्त होंगे और पी. के. मिश्रा को पदोन्नत किया जाएगा. इसके बजाय नृपेंद्र मिश्रा न केवल वहां जमे रहे, बल्कि उन्हें कैबिनेट रैंक के साथ दोबारा नियुक्त किया गया.

खराब अर्थव्यवस्था से जुड़े तार :

सूत्रों का कहना है कि पीएमओ से नृपेंद्र मिश्रा के जाने का अर्थव्यवस्था के हालात से कुछ लेना-देना है. उनकी ओर से वित्त सचिव एस. सी. गर्ग को हटाने, सॉवरिन बॉन्ड्स विवाद और 5 जुलाई को पेश केंद्रीय बजट से इतर फैसला लेने को मजबूर होने से सरकार की परेशानी झलकती है.

Web Title: Special report: know why PM Modi's Principal Secretary Nripendra Mishra resigns

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे