स्पेशल NIA कोर्ट से प्रज्ञा ठाकुर को नहीं मिली राहत, हाजिर होने से स्थायी छूट देने की मांग करने वाली याचिका

By भाषा | Published: June 20, 2019 08:37 PM2019-06-20T20:37:26+5:302019-06-20T20:37:26+5:30

प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कोर्ट में आवेदन किया था कि बतौर सांसद उन्हें संसद की कार्यवाही में शामिल होना है इसलिए उन्हें पेशी से राहत दी जाए।

Special NIA court in Mumbai has rejected Pragya Thakur's application for permanent exemption from attending the court once a week | स्पेशल NIA कोर्ट से प्रज्ञा ठाकुर को नहीं मिली राहत, हाजिर होने से स्थायी छूट देने की मांग करने वाली याचिका

स्पेशल NIA कोर्ट से प्रज्ञा ठाकुर को नहीं मिली राहत, हाजिर होने से स्थायी छूट देने की मांग करने वाली याचिका

Highlightsठाकुर ने यह भी कहा कि वह साध्वी हैं और साधना के लिए उन्हें कठोर अनुशासन में रहना होता है।इसके अलावा सांसद होने के नाते और पार्टी के आदेश पर उन्हें संसद के सत्रों में भाग लेना होता है।

मुंबई, 20 जूनः यहां की एक निचली अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की अदालत में हफ्ते में एक बार हाजिर होने से स्थायी छूट देने की मांग करने वाली याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। मध्य प्रदेश के भोपाल से नवनिर्वाचित सांसद ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा कि वह कई तरह की बीमारियों से जूझ रही हैं और इस हालत में नहीं हैं कि अदालत में मौजूद रह सकें।

ठाकुर ने यह भी कहा कि वह साध्वी हैं और साधना के लिए उन्हें कठोर अनुशासन में रहना होता है। इसके अलावा सांसद होने के नाते और पार्टी के आदेश पर उन्हें संसद के सत्रों में भाग लेना होता है। इसलिए उनके लिए यह संभव नहीं है कि वह हर सप्ताह मुंबई की यात्रा करके अदालत में हाजिर हो सकें।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के विशेष न्यायाधीश वी एस पडालकर ने इसपर कहा कि ये आधार तर्कसंगत नहीं हैं। हालांकि, न्यायाधीश ने गुरुवार को उनको गैरहाजिर होने की अनुमति दे दी।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितम्बर, 2008 को हुये धमाकों में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। जांच एजेंसी के अनुसार ये धमाके एक चरमपंथी हिंदू संगठन ने किए थे और ठाकुर इस संगठन में शामिल थीं।

Web Title: Special NIA court in Mumbai has rejected Pragya Thakur's application for permanent exemption from attending the court once a week

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