मेदिनीनगर (झारखंड), 28 अक्टूबर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी ने झारखंड में सूचना आयुक्त और लोकायुक्त की नियुक्ति में देरी को लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधते हुए बृहस्पतिवार को दावा किया कि सत्तारूढ़ सरकार डरी हुई है कि उसके ‘भ्रष्ट’ मंत्री जांच के दायरे में आ जाएंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि अवैध गतिविधियों को संरक्षण देने के इरादे से नियुक्तियां रोककर रखी गई हैं।
उन्होंने आरोप लगाया, "झारखंड में सूचना का अधिकार कानून लगभग समाप्त ही हो चुका है। नियुक्तियां सुनियोजित तरीके से रोकी गई हैं। हेमंत सोरेन सरकार को डर है कि अगर भ्रष्टाचार के मामले में जांच शुरू की गई तो उसके मंत्री जांच के दायरे में आ जाएंगे।"
उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार के संरक्षण में लूट और भ्रष्टाचार बेरोकटोक जारी है।
मरांडी ने कहा, "अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ईमानदार होते और राज्य में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध होते, तो उन्होंने राज्य सूचना आयोग और लोकायुक्त जैसी संस्थाओं को सक्रिय किया होता।"
राज्य के लोकायुक्त न्यायमूर्ति ध्रुवनारायण उपाध्याय की जून में कोविड-19 से मृत्यु हो गई थी, जिससे पद खाली हुआ था, जबकि सूचना आयुक्त का पद मई 2020 से खाली पड़ा हुआ है।
मरांडी ने बुधवार को बुद्धिजीवियों और व्यापारिक समुदाय के सदस्यों के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा था कि सत्ता पर काबिज झामुमो ने बेईमान तत्वों के साथ हाथ मिला लिया है, जिससे राज्य का सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक माहौल खराब हुआ है।
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