न्यायालय में ऑफलाइन सुनवाई बहाल करने संबंधी एसओपी सफल नहीं रहेगी: एससीबीए

By भाषा | Published: August 30, 2021 07:20 PM2021-08-30T19:20:35+5:302021-08-30T19:20:35+5:30

SOP to restore offline hearing in court will not be successful: SCBA | न्यायालय में ऑफलाइन सुनवाई बहाल करने संबंधी एसओपी सफल नहीं रहेगी: एससीबीए

न्यायालय में ऑफलाइन सुनवाई बहाल करने संबंधी एसओपी सफल नहीं रहेगी: एससीबीए

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण को सोमवार को पत्र लिखकर कहा कि ऑफलाइन यानी अदालत कक्ष में सुनवाई बहाल करने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के ‘‘सफल होने की संभावना नहीं’’ हैं, क्योंकि उसके सदस्य इतनी अधिक शर्तें जुड़ी होने के कारण इस विकल्प को अपनाना नहीं चाहेंगे। बार निकाय ने विशेष पास के बिना उच्चतम न्यायालय के उच्च सुरक्षा इलाके में वकीलों के प्रवेश पर प्रतिबंध समेत एसओपी की कई शर्तों पर आपत्ति जताई है। एससीबीए अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने प्रधान न्यायाधीश को लिखे पत्र में कहा कि देश की शीर्ष अदालत होने के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय को देश की अन्य अदालतों में सामान्य कामकाज शुरू करने के लिए मार्गदर्शन करना चाहिए, क्योंकि उच्च न्यायालय और निचली न्यायिक अदालतें इस प्रकार के मार्गदर्शन के लिए उसकी ओर देखती हैं। एससीबीए ने कहा, ‘‘इसलिए हमें निचली अदालतों में सही संदेश भेजने के लिए सामान्य कामकाज जल्द से जल्द बहाल करना चाहिए। देश में अदालतों में लोगों का एक छोटा समूह आता है और हमारी कार्यप्रणाली के कारण कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी की आशंका नहीं है।’’ एससीबीए अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हमारे नजरिए से एसओपी के सफल होने की संभावना नहीं है, क्योंकि हमारे सदस्य इतनी अधिक संख्या में शर्तें जुड़ी होने के कारण अदालत कक्ष में सुनवाई के विकल्प को चुनना नहीं चाहेंगे।’’ सिंह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की वास्तुकला विशिष्ट है, जहां वकील एक खुले गलियारे में (वातानुकूलन के बिना) एक अदालत से दूसरी अदालत में जाते हैं और यहां संक्रमण की आशंका न के बराबर है। एससीबीए ने कहा, ‘‘हमारी राय है कि प्रतिबंध अदालत कक्ष में जाने पर ही लगाए जाने चाहिए और उच्च सुरक्षा इलाके में प्रवेश संबंधी कोई प्रतिबंध नहीं होने चाहिए।’’ पत्र में कहा गया कि एसओपी के तहत उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में वकीलों के विशेष पास के बिना प्रवेश पर रोक लगाई गई है, जिसके कारण सदस्य ऑफलाइन सुनवाई के लिए आवेदन करने को लेकर हतोत्साहित होंगे। बार एसोसिएशन ने सुझाव दिया कि पुस्तकालयों और प्रतीक्षालयों को प्रतीक्षा क्षेत्र बनाया जाना चाहिए, जहां वकील कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्वयं प्रतीक्षा करेंगे और यदि इन क्षेत्रों में वकीलों की संख्या बढ़ जाती है, तो वे गलियारे में इंतजार कर सकते हैं, जो खुला क्षेत्र है और जहां न्यूनतम प्रतिबंध की आवश्यकता है। उसने कहा कि एसओपी में विशेष पास जारी करने की प्रणाली को समाप्त किया जाना चाहिए। पत्र में यह भी कहा गया है कि हर अदालत कक्ष में लोगों की संख्या को 20 तक सीमित करने का नियम भी मनमाना है, क्योंकि अदालत कक्षों का आकार अलग-अलग है। उसने कहा कि अदालत कक्ष में प्रवेश करने के लिए स्वीकृत व्यक्तियों की संख्या अदालत के आकार के आधार पर तय होनी चाहिए और 20 व्यक्तियों की संख्या को केवल सबसे छोटे अदालत कक्षों में ही उचित ठहराया जा सकता है। एससीबीए ने कहा कि जिन जनहित याचिकाओं में सभी राज्य पक्षकार हैं और जिन मामलों में बड़ी संख्या में प्रतिवादी हैं, उनकी जानकारी रजिस्ट्री पहले से ही होती है और ऐसे मामलों को ऑफलाइन सुनवाई बहाल होने तक केवल ऑनलाइन माध्यम से सूचीबद्ध किया जा सकता है। न्यायालय ने एक सितंबर से प्रत्यक्ष रूप से मामलों की अंतिम सुनवाई के लिए नई एसओपी जारी की है।न्यायालय पिछले साल मार्च से महामारी के कारण वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मामलों की सुनवाई कर रहा है और कई बार निकाय और वकील मांग कर रहे हैं कि प्रत्यक्ष रूप से सुनवाई तुरंत फिर से शुरू हो। अट्ठाईस अगस्त को महासचिव द्वारा जारी एसओपी में स्पष्ट किया गया है कि अदालतें सोमवार और शुक्रवार को डिजिटल माध्यम से विविध मामलों की सुनवाई करती रहेंगी। एसओपी में कहा गया है, ‘‘मास्क पहनना, सैनिटाइजर का बार-बार इस्तेमाल और अदालत कक्ष सहित उच्चतम न्यायालय परिसर में सभी आगंतुकों के लिए सामाजिक दूरी के मानदंडों को बनाए रखना अनिवार्य है।” प्रक्रियाओं में अनिवार्य किया गया है कि एक बार वादी और वकील प्रत्यक्ष रूप से सुनवाई का विकल्प चुनते हैं तो ‘‘संबंधित पक्ष को वीडियो / टेली-कॉन्फ्रेंस मोड के माध्यम से सुनवाई की सुविधा नहीं होगी।

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Web Title: SOP to restore offline hearing in court will not be successful: SCBA

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