महिला वकील से मारपीट के मामले में सजा सुनाये जाने के दौरान अदालत कक्ष में हुई नारेबाजी

By भाषा | Updated: November 30, 2021 22:08 IST2021-11-30T22:08:49+5:302021-11-30T22:08:49+5:30

Slogans in the courtroom during the sentencing in the case of assault on a female lawyer | महिला वकील से मारपीट के मामले में सजा सुनाये जाने के दौरान अदालत कक्ष में हुई नारेबाजी

महिला वकील से मारपीट के मामले में सजा सुनाये जाने के दौरान अदालत कक्ष में हुई नारेबाजी

नयी दिल्ली, 30 नवंबर दिल्ली की तीस हजारी अदालत में मंगलवार को एक अदालत कक्ष में उस वक्त हंगामा देखने को मिला, जब वकील नारेबाजी कर रहे थे तथा वे कुर्सी और मेज पर चढ़ कर खड़े हो गये। दरअसल, वे मारपीट के एक मामले में सजा की घोषणा पर आदेश का इंतजार कर रहे थे।

इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला दोषी हैं। उन्हें शिकायतकर्ता एवं तीस हजारी अदालत में उस वक्त (घटना के समय) वकील रहीं सुजाता कोहली को आपराधिक धमकी देने और चोट पहुंचाने को लेकर मारपीट के मामले में पिछले महीने दोषी करार दिया गया था।

कोहली बाद में दिल्ली की एक अदालत में न्यायाधीश बन गई और पिछले साल जिला एवं सत्र न्यायाधीश के तौर पर सेवानिवृत्त हुई।

अदालत कक्ष संख्या 38 में मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गजेंदर सिंह नागर मामलों की सुनवाई कर रहे थे। वहां वकीलों ने ‘शर्म करो’ के नारे लगाये और दावा किया कि न्यायाधीश दबाव में काम कर रहे हैं तथा कोहली का समर्थन कर रहे हैं।

एक वकील ने कहा, ‘‘आदेश जारी किया जाए। हम यह सुनना चाहते हैं।’’ सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी भी अदालत कक्ष के बाहर खड़े थे।

कुछ वकील खचाखच भरे अदालत कक्ष में मेज व कुर्सियों पर भी चढ़ गये ताकि वे दोषी एवं पीड़िता के वकीलों की बहस सुन सकें।

कार्यवाही के दौरान, कोहली ने न्यायाधीश से पूछा, ‘‘उन्हें (खोसला को) भीड़ के साथ अदालत में घुसने की अनुमति क्यों दी गई? वह यहां सैकड़ों वकीलों के साथ हैं। दोषी बार-बार प्रदर्शित कर रहा है कि कानून का शासन का वह जरा भी सम्मान नहीं करता है। उसे अदालत का तिरस्कार करने से प्रेम है। ’’

पूर्व न्यायाधीश वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अदालत में पेश हुई। उन्होंने कहा कि खोसला ने अदालत के खिलाफ और न्यायाधीश के फैसले के बाद अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल किया।

हालांकि खोसला का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता बीरेंद्र सांगवा ने इसका खंडन किया और कहा, ‘‘अदालत हर तरह से शिकायतकर्ता का समर्थन कर रही है। वह न्यायाधीश बनने के बाद अपने पद का अनुचित फायदा उठा रही हैं। ’’

बहस तथा और अधिक नारेबाजी के बाद न्यायाधीश ने खोसला को राज्य व पीड़िता को 40,000 रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया। इसमें नाकाम रहने पर खोसला को 30 दिन की सामान्य कैद का सामना करना होगा।

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि दोषी ने महिला बार सदस्य पर कई वकीलों की मौजूदगी में हमला किया, लेकिन वह उन्हें जेल भेजना उपयुक्त नहीं समझते हैं क्योंकि वह किसी अन्य मामले में दोषी नहीं करार दिये गये हैं तथा एक वरिष्ठ नागरिक हैं।

आदेश की घोषणा के बाद वकीलों ने ‘वकील एकता जिंदाबाद’ और ‘राजीव खोसला जिंदाबाद’ के नारे लगाये।

यह घटना अगस्त 1994 की है। शिकायत के मुताबिक, खोसला ने शिकायतकर्ता के बाल खींचे थे, उन्हें घसीटा था, गालियां दी थीं और धमकी दी थी।

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Web Title: Slogans in the courtroom during the sentencing in the case of assault on a female lawyer

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