‘हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने की जरूरत नहीं’ भागवत के इस बयान का शिवसेना ने किया समर्थन

By भाषा | Published: June 3, 2022 07:45 PM2022-06-03T19:45:55+5:302022-06-03T19:45:55+5:30

शिवसेना के राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा, मैं उनके (भागवत के) बयान का समर्थन करता हूं। रोज-रोज का शोर-शराबा खत्म होना चाहिए, नहीं तो यह देश को नुकसान पहुंचाएगा।

Shiv Sena backs RSS chief Mohan Bhagwat's 'no need to find Shivling in every mosque' comment | ‘हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने की जरूरत नहीं’ भागवत के इस बयान का शिवसेना ने किया समर्थन

‘हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने की जरूरत नहीं’ भागवत के इस बयान का शिवसेना ने किया समर्थन

Highlightsमोहन भागवत के बयान का शिवसेना नेता संजय राउत ने किया समर्थनकहा- रोज रोज का यह शोर शराबा खत्म होना चाहिएकश्मीरी पंडितों को लेकर मोदी सरकार पर राउत ने साधा निशाना

मुंबई: शिवसेना ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान का शुक्रवार को समर्थन किया कि ‘‘हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने और प्रतिदिन एक नया विवाद खड़ा करने की जरूरत नहीं है।’’ साथ ही, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व कर रही पार्टी (शिवसेना) ने कहा कि इसके बजाय मुख्य जोर इस बात पर होना चाहिए कि कश्मीरी पंडितों की जान कैसे बचाई जाए। 

शिवसेना सांसद संजय राउत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि (कश्मीर) घाटी से कश्मीरी पंडितों के एक बार फिर से पलायन करने के मद्देनजर, ‘कश्मीर फाइल्स 2’ (फिल्म) के जरिये यह दिखाया जाना चाहिए उनकी मौजूदा दशा के लिए कौन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ का समर्थन किया, जिससे इसके निर्माता को 400-500 करोड़ रुपये की कमाई करने में मदद मिली, लेकिन कश्मीरी पंडितों की स्थिति नहीं बदली। 

शिवसेना के राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा, ‘‘मैं उनके (भागवत के) बयान का समर्थन करता हूं। रोज-रोज का शोर-शराबा खत्म होना चाहिए, नहीं तो यह देश को नुकसान पहुंचाएगा। शिवलिंग ढूंढने के बजाय हमें यह सोचना चाहिए हम कश्मीरियों की जान कैसे बचा सकते हैं...कश्मीरी पंडितों की जान कैसे बचाई जा सकती है।’’ 

उल्लेखनीय है कि भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा था कि ज्ञानवापी विवाद में आस्था के कुछ मुद्दे शामिल हैं और इस पर अदालत का फैसला सर्वमान्य होना चाहिए और हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने और प्रतिदिन एक नया विवाद खड़ा करने की जरूरत नहीं है। इस बीच, उन्होंने इस घटनाक्रम पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की एक आपात बैठक का जिक्र करते हुए जम्मू कश्मीर में स्थिति को ‘सचमुच में गंभीर’ करार दिया। 

राउत ने कहा कि सरकार कोशिश कर रही हैं लेकिन स्थिति 1990 की ओर लौट रही है, जब कश्मीरी पंडितों ने सामूहिक रूप से घाटी से पलायन किया था। राउत ने दावा किया कि भाजपा ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का वादा कर वोट हासिल किये लेकिन अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं हुआ है। 

उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों पर हमले हो रहे हैं और उनकी हत्या हो रही है लेकिन सरकार उन्हें सुरक्षा मुहैया करने के लिए कुछ नहीं कर रही है। राउत ने कहा कि यदि किसी अन्य पार्टी की सरकार होती तो भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया होता।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और कश्मीर में प्रशासन आपसे (भाजपा से) संबद्ध हैं फिर भी कश्मीरी पंडितों की हत्या हो रही है।’’ इससे पहले दिन में, शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने शाह को पत्र लिखकर कश्मीर घाटी में हिंदुओं और प्रवासियों को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की।

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