बीएमसी में शिवसेना राज, निर्विरोध चुने गए मेयर और उप महापौर, किशोरी पेडणेकर बनीं महापौर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 22, 2019 02:01 PM2019-11-22T14:01:05+5:302019-11-22T14:10:40+5:30
शिवसेना के किशोरी पेडणेकर और सुहास वाडकर क्रमशः बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के मेयर और उप महापौर के रूप में निर्विरोध चुने गए।
महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा की सरकार बननी तय है। इस बीच शिवसेना ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) में बाजी मार ली है। शिवसेना के किशोरी पेडणेकर और सुहास वाडकर क्रमशः बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के मेयर और उप महापौर के रूप में निर्विरोध चुने गए।
Mumbai: Shiv Sena's Kishori Pednekar and Suhas Wadkar elected unopposed as Mayor and Deputy Mayor of Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC), respectively. #Maharashtrapic.twitter.com/Q8BAEtcM81
— ANI (@ANI) November 22, 2019
बृहन्मुंबई नगर निगम के 2017 में हुए चुनावों में 227 सदस्यीय नगर निगम में शिवसेना के 84 पार्षद जीते थे, वहीं सहयोगी भाजपा के 82 पार्षदों ने जीत हासिल की थी। तब भाजपा ने शिवसेना को समर्थन दिया था और विश्वनाथ महादेश्वर को मेयर चुना गया। महादेश्वर का ढाई साल का कार्यकाल इस साल सितंबर में समाप्त हो गया था। महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन में टूट का असर मुंबई मेयर के लिए होने वाले चुनाव पर नहीं पड़ा।
शिवसेना के इस समय 94 पार्षद हैं जिनमें छह पार्षद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से आए थे। भाजपा के 83, कांग्रेस के 28, राकांपा के आठ, समाजवादी पार्टी के छह, एमआईएम के दो तथा मनसे का एक पार्षद है। मेयर पद के चुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवार उतारने की संभावनाओं के सवाल पर पार्टी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा कि उसने अभी तक इस पर निर्णय नहीं किया है। सपा के रईस शेख ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ बातचीत कर रही है और जल्द फैसला लिया जाएगा।
आरटीआई अर्जियों के माध्यम से देश के सबसे धनवान नगर निगम में अनेक घोटाले उजागर करने वाले कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि इस समय भाजपा का रुख अहम होगा जहां राज्यस्तर पर कांग्रेस-राकांपा की शिवसेना के साथ बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा, ‘‘सबसे संभावित परिदृश्य में कांग्रेस और राकांपा विभिन्न समितियों में पद मांग सकते हैं, वहीं अगर भाजपा उम्मीदवार खड़ा करने का मन बनाती है तो उसे नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सकता है।’’ राज्य शहरी विकास विभाग ने एक लॉटरी में तय किया है कि अगला मेयर सामान्य श्रेणी से होगा। हर ढाई साल में मेयर पद पर बारी-बारी से सामान्य और आरक्षित श्रेणी के नेता आरूढ़ होते हैं।