सिंघू सीमा पर किसानों के जूते पॉलिश कर रहे हैं शीशगंज गुरुद्वारे के सेवादार

By भाषा | Updated: January 11, 2021 18:25 IST2021-01-11T18:25:18+5:302021-01-11T18:25:18+5:30

Shishganj gurdwara sevadars are polishing the shoes of farmers on the Singhu border | सिंघू सीमा पर किसानों के जूते पॉलिश कर रहे हैं शीशगंज गुरुद्वारे के सेवादार

सिंघू सीमा पर किसानों के जूते पॉलिश कर रहे हैं शीशगंज गुरुद्वारे के सेवादार

(कुणाल दत्त)

नयी दिल्ली, 11 जनवरी दिल्ली के चांदनी चौक स्थित शीशगंज गुरुद्वारे के स्वयंसेवकों का एक समूह सामुदायिक सेवा की भावना से सिंघू बार्डर पर केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के जूते पॉलिश कर रहा है।

इन सेवादारों में एक महिला भी शामिल है। ये सेवादार जमीन पर बैठते हैं और लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे अपने जूते उन्हें दे दें और सिंधू सीमा के हरियाणा की ओर बने उनके अस्थायी काउंटर के सामने इंतजार करें।

पिछले कुछ दिनों के दौरान इन इन स्वयंसेवकों ने अपने सेवा भाव से लोगों की प्रशंसा अर्जित की है।

एक व्यापारी एवं पुरानी दिल्ली के निवासी 63 वर्षीय जसविंदर सिंह एक कोने में बैठे हुए थे और उनके हाथों में काले रंग की पॉलिश लगी थी जबकि उनके पास रखे एक पोर्टेबल स्पीकर से गुरबानी की आवाज आ रही थी।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम शीशगंज गुरुद्वारे में ‘जोड़ा सेवा' करते हैं। हमने सोचा कि क्यों न इन किसानों की मदद करें जो 40 दिनों से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं। बारिश और धूल के कारण उनके जूते गंदे हो गए हैं तथा उनमें से कई उन्हें ही पहने हुए हैं।’’

उनके बगल में शाहदरा क्षेत्र के 58 वर्षीय व्यापारी इंद्रजीत सिंह बैठे थे, जिन्होंने किसानों को ‘‘अन्नदाता’’ और ‘‘योद्वा’’ कहा।

उन्होंने कहा, ‘‘वे ठंड और बारिश और तपती धूप में खेतों में मेहनत करके हमें भोजन प्रदान करते हैं। हम उनके लिए यह कम से कम तो कर ही सकते हैं। हम उनके जूते चमकाकर हमारे हाथ गंदे नहीं कर रहे हैं, हम उनका आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।’’

सोमवार को विरोध प्रदर्शन का एक और दिन था। मंच पर उग्र भाषणों हो रहे थे, सड़कों पर प्रतिरोध के गीत और ‘सड्डा हक, इत्थे रख’ और ‘जो बोले सो निहाल’ के नारे गूंज रहे थे।

जसविंदर ने कहा कि यह सेवा केवल किसानों के लिए ही नहीं बल्कि अन्य के लिए मुफ्त है।

उन्होंने कहा, ‘‘काफी लोग हर दिन विरोध प्रदर्शन स्थल पर आते हैं, जो विभिन्न व्यवसायों से संबंधित होते हैं। कभी गरीब भी हमारे काउंटर पर आते हैं और पूछते हैं कितना भुगतान करना है।’’

व्यापारी ने कहा, ‘‘कृपया अपना 'जोड़ा' (जूतों की जोड़ी) और कुछ ‘दुआ’ दें, हम यही कहते हैं।’’

दिल्ली के पुराने गुरुद्वारे के सेवादारों में एक महिला भी है, जिसने लोगों से जूते लिए और उन्हें पॉलिश किया।

अमरजीत सिंह ने कहा, ‘‘वह किरण जी हैं, जो शीशगंज गुरुद्वारे में सेवाएं देती हैं। वह सुभाष नगर में रहती हैं। हमारे सिख गुरुओं ने हमें बिना किसी भेदभाव के और बिना किसी उम्मीद के सेवा करना सिखाया है।’’

58 वर्षीय सेवादार का कहना है कि पहाड़गंज इलाके में उनका स्कूल बैग का व्यवसाय है, लेकिन ‘सेवा’’ से सबसे ज्यादा ‘‘सुकून’’ मिलता है।

उन्होंने कहा, ‘‘पैसा वह खुशी और आशीर्वाद नहीं दे सकता जो हमें इस सेवा मिलता है।

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Web Title: Shishganj gurdwara sevadars are polishing the shoes of farmers on the Singhu border

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