शिंदे सरकार के मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा, "बाबरी ध्वंस में एक भी शिवसैनिक नहीं था", उद्धव ठाकरे का जवाब, "जब मस्जिद गिर रही थी, चूहे बिल में छुपे थे"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 11, 2023 04:03 PM2023-04-11T16:03:38+5:302023-04-11T16:06:57+5:30
उद्धव ठाकरे ने शिंदे सरकार के मंत्री चंद्रकांत पाटिल के उस बयान की निंदा की है, जिसमें पाटिल ने कहा था कि बाबरी ध्वंस में एक भी शिवसैनिक शामिल नहीं था। उद्धव ठाकरे ने इस मामले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मांग की कि वो मंत्री चंद्रकांत पाटिल को मंत्रीमंडल से बर्खास्त करें या फिर उनका इस्तीफा लें।
मुंबई: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार के मंत्री चंद्रकांत पाटिल के एक बयान पर भारी बवाल मचा हुआ है। मंत्री चंद्रकांत ने बीते सोमवार को कहा था कि 6 दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराने की कार्रवाई हुई थी, तो उसमें एक भी शिवसैनिक शामिल नहीं था।
मंत्री पाटिल के इस बयान को लेकर विपक्षी महाविकास अघाड़ी के घटक दल शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे) के मुखिया उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को बेहद तीखी आपत्ति दर्ज कराई है और मुख्यमंत्री शिंदे से मांग की कि वो फौरन चंद्रकांत पाटिल को अपने मंत्रीमंडल के बर्खास्त करें या फिर उनसे इस्तीफा लें।
उद्धव ठाकरे ने पाटिल के बयान पर बेहद तल्ख भाषा का प्रयोग करते हुए कहा, "जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराया जा रहा था, तब सभी चूहे अपने बिलों में छिपे हुए थे।"
ठाकरे इस मामले में इस वजह से गुस्से में हैं क्योंकि एकनाथ शिंदे सरकार में उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्रकांत पाटिल ने सोमवार को शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के उस कथन को झुठला दिया, जिसमें दिवंगत ठाकरे ने कहा था कि उन्हें बाबरी ध्वंस में शामिल शिवसैनिकों पर गर्व है। पाटिल ने कहा कि जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराई जा रही थी, तब शिवसेना का एक भी कार्यकर्ता उसके आसपास नहीं था। मस्जिद को गिराने का काम बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी ने किया था।
दरअसल मंत्री पाटिल सोमवार को शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे) के राज्यसभा सांसद संजय राउत के उस बयान पर तंज कस रहे थे, जिसमें राउत ने कहा था कि बाबरी मस्जिद को गिराने में शिवसैनिक सबसे आगे थे। पाटिल ने कहा, "राउत के बयान पर आश्चर्य होता है कि क्योंकि वो तो उस वक्त उत्तर प्रदेश के अयोध्या में थे भी नहीं, जहां मस्जिद को गिराया गया था।"
चंद्रकांत पाटिल ने इसके साथ यह भी कहा कि भाजपा समेत सभी दिवंगत शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे का सम्मान करते थे, वो किसी एक की संपत्ति नहीं हैं। उन्होंने कहा, "बालासाहेब सभी हिंदुओं के हैं और हर कोई उनके नाम का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है।"
पाटिल ने यह बात इस कारण कही क्योंकि मु्ख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा पिछले साल जून में मूल शिवसेना में बगावत की और पार्टी का बड़ा धड़ा उनके साथ अलग हो गया था। जिसके बाद चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और 'धनुष और तीर' का निशान शिंदे गुट को आवंटित कर दिया था। जबकि उद्धव ठाकरे के गुट को शिव सेना (उद्धव बाल ठाकरे) का नाम मिला था और चुनाव चिन्ह के तौर पर ज्वलंत मशाल का आवंटन किया गया था।
वहीं इस पूरे प्रकरण से खासे नाराज उद्धव ठाकरे ने शिंदे सरकार में शामिल भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे) का हिंदुत्व तो राष्ट्रवाद के साथ जुड़ा है, भाजपा को अपना हिंदुत्व परिभाषित करना चाहिए।