उतार-चढ़ाव भरा रहा शीला दीक्षित का जीवन, इंदिरा, राजीव, सोनिया और राहुल के साथ काम करने का मिला अवसर

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 21, 2019 07:15 AM2019-07-21T07:15:40+5:302019-07-21T07:15:40+5:30

कांग्रेस ने इस साल लोकसभा चुनाव में जब पूरा जोर लगा दिया था, तो शीला दीक्षित को 81 वर्ष की उम्र में एक बार फिर दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त किया. उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण बहुत अधिक प्रचार नहीं कर सकीं और भाजपा के मनोज तिवारी से चुनाव हार गईं.

Sheila Dikshit passes away: Opportunity for working with Indira, Rajiv, Sonia and Rahul | उतार-चढ़ाव भरा रहा शीला दीक्षित का जीवन, इंदिरा, राजीव, सोनिया और राहुल के साथ काम करने का मिला अवसर

1998 में उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. 2008 में उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 70 में से 43 सीटों पर जीत दर्ज की.

Highlightsपहले शीला को संसदीय कार्य राज्यमंत्री बनाया गया और बाद में उनको प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री का कार्यभार सौंपा गया.शीला ने कन्नौज लोकसभा सीट से संसद में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व भी किया.

लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला 2013 में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल से खुद चुनाव हारने और दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद वह मुख्यमंत्री पद से हटीं. उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उस समय की, जब उनके ससुर उमाशंकर दीक्षित तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार में देश के गृह मंत्री थे.

उमाशंकर के इकलौते पुत्र विनोद दीक्षित से दाम्पत्य जीवन में बंध जाने के बाद वह राजनीति में अधिक सक्रिय हो गईं. शीला दीक्षित को इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ काम करने का अवसर मिला. पी.वी नरसिंह राव के प्रधानमंत्री औैर कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद गांधी परिवार के प्रति अपनी निष्ठा को दिखाने के लिए शीला दीक्षितकांग्रेस से अपना नाता तोड़कर तिवारी कांग्रेस में शामिल हो गईं.

पंजाब के कपूरथला में जन्मी शीला का रिश्ता कपूर परिवार से था जहां से वह दिल्ली आ गईं. उनकी शिक्षा यहीं हुई. उनके प्रशासनिक अधिकार पति विनोद की नियुक्ति जब आगरा में जिला अधिकारी के रूप में हुई, तो शीला ने सामाजिक कार्यों में पहला कदम रखा. उन्होंने कांच के शहर फिरोजाबाद को समाजसेवा के लिए चुना और 70-80 के दशक में व्यापक स्तर पर पौधरोपण किया. वह राजीव गांधी सरकार में 1986-1989 तक रहीं.

पहले शीला को संसदीय कार्य राज्यमंत्री बनाया गया और बाद में उनको प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री का कार्यभार सौंपा गया. शीला ने कन्नौज लोकसभा सीट से संसद में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व भी किया. 1998 में उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. 2008 में उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 70 में से 43 सीटों पर जीत दर्ज की.

दिल्ली का कायाकल्प किया : अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में शीला दीक्षित ने दिल्ली का कायाकल्प कर दिया. फ्लाईओवर का जाल बिछाकर जाम से बहुत हद तक छुटकारा दिलाना हो या आरामदेह परिवहन सेवाएं, दिल्ली के लोग उनकी उपलब्धियों को कभी नहीं भूल सकते हैं. उन्होंने इसे दुनिया के बेहतरीन शहरों के रूप में तब्दील कर दिया.

उनके कार्यकाल में ही दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेल का आयोजन किया गया. हालांकि इस आयोजन को लेकर उनको आलोचनाओं का शिकार भी होना पड़ा. 11 मार्च 2014 से 25 अगस्त 2014 तक केरल की राज्यपाल रहीं शीला की दो संतानें बेटा संदीप दीक्षित और बेटी लतिका हैं. संदीप लोकसभा में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

सक्रिय राजनीति से नाता नहीं तोड़ा :

कांग्रेस ने इस साल लोकसभा चुनाव में जब पूरा जोर लगा दिया था, तो शीला दीक्षित को 81 वर्ष की उम्र में एक बार फिर दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त किया. उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण बहुत अधिक प्रचार नहीं कर सकीं और भाजपा के मनोज तिवारी से चुनाव हार गईं. चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने सक्रिय राजनीति से नाता नहीं तोड़ा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के अनुसार शीला दीक्षित ने उनके साथ 18 जुलाई को दिल्ली की राजनीतिक उठापटक पर करीब आधे घंटे तक चर्चा की थीं.

Web Title: Sheila Dikshit passes away: Opportunity for working with Indira, Rajiv, Sonia and Rahul

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