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शरजील इमाम को राजद्रोह मामले में जमानत मिली, दिल्ली दंगों को लेकर जेल में ही रहना होगा

By भाषा | Published: September 30, 2022 8:05 PM

जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम को राजद्रोह के एक मामले में शुक्रवार को जमानत दे दी, जिसमें उस पर 2019 में यहां जामिया में दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था। इमाम को हालांकि जेल में ही रहना होगा।

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ठळक मुद्देदिल्ली में सांप्रदायिक दंगों की साजिश के मामले में अभी तक नहीं मिली जमानतइसी कारण शरजील इमाम को फिलहाल जेल में ही रहना होगाजेएनयू के पूर्व छात्र पर 2019 में दिल्ली के जामिया में दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम को राजद्रोह के एक मामले में शुक्रवार को जमानत दे दी, जिसमें उस पर 2019 में यहां जामिया में दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था। इमाम को हालांकि जेल में ही रहना होगा, क्योंकि उसे दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों की साजिश के मामले में अभी तक जमानत नहीं मिली है। 

लगभग ढाई साल की कैद के बाद छात्र कार्यकर्ता को जमानत देते हुए, अदालत ने 22 अक्टूबर, 2021 की अपनी टिप्पणियों का भी उल्लेख किया कि इमाम के भाषण को सुनने के बाद दंगाइयों के कार्रवाई करने का कोई सबूत नहीं था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने कहा, ‘‘इसके मद्देनजर और वर्तमान मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी किए बिना, आवेदक या आरोपी शरजील इमाम को 30,000 रुपये की जमानत राशि के साथ ही इतनी ही राशि के निजी मुचलके पर जमानत दी जाती है।’’ 

न्यायाधीश ने कहा कि जमानत इस शर्त के अधीन दी जाती है कि इमाम हमेशा मोबाइल पर उपलब्ध रहेगा और संबंधित जांच अधिकारी (आईओ) को पते में बदलाव की सूचना देगा। इस साल मई में पारित एक अंतरिम आदेश में, उच्चतम न्यायालय ने एक अभूतपूर्व आदेश के तहत देशभर में राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कोई ‘उचित’ सरकारी मंच इसका पुन: परीक्षण नहीं कर लेता। 

शीर्ष अदालत ने केंद्र एवं राज्य सरकारों को आजादी के पहले के इस कानून के तहत कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के निर्देश भी दिये थे। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने व्यवस्था दी थी कि प्राथमिकी दर्ज कराने के अलावा, देशभर में राजद्रोह संबंधी कानून के तहत चल रही जांचों, लंबित मुकदमों और सभी कार्यवाहियों पर भी रोक रहेगी। 

दिल्ली की अदालत ने शुक्रवार को कहा कि उसने इमाम की याचिका को भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 153 ए (वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत आरोपों को ध्यान में रखते हुए खारिज कर दिया था। न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी 31 महीने से अधिक समय से हिरासत में है और उसे वर्तमान मामले में 17 फरवरी, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। अपराध शाखा ने इमाम को उसके कथित भड़काऊ भाषण से जामिया में दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 

जांच के दौरान पुलिस ने उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए और 153ए लगाई थी। इमाम पर आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत भी आरोप लगाया गया था, जिसमें दंगा, घातक हथियार से लैस, सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल, हत्या का प्रयास शामिल हैं। सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम और शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत भी आरोप लगाये गये थे। 

टॅग्स :शर्जील इमामजवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू)
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