पटना: पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव अब अपनी पार्टी लोकतांत्रित जनता दल (लोजद) का विलय लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद में कराने जा रहे हैं. यह जानकारी शरद यादव ने खुद पत्र जारी कर दी है. उन्होंने बताया है कि दिल्ली स्थित उनके सात तुगलक रोड आवास पर 20 मार्च को इसके लिए कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
उन्होंने कहा है कि देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए बिखरे हुए जनता परिवार को साथ लाने के लिए ऐसा करना जरूरी हो गया है. इसलिए वह अपनी पार्टी का राजद में विलय करके लालू और तेजस्वी यादव को मजबूत करेंगे.
जदयू से अलग होकर 2018 में बनाई थी अपनी पार्टी
शरद यादव ने लोजद का राजद के साथ विलय कराने के निर्णय को सामने रखते हुए कहा कि जदयू से अलग होकर उन्होंने 2018 में अपनी इस पार्टी का गठन किया था. उन्होंने कहा कि लोग अभी एक मजबूत विपक्ष की ओर झांक रहे हैं. वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए ये फैसला लिया गया है ताकि बिखरे हुए जनता परिवार को फिर एकजुट किया जा सके.
उन्होंने कहा है कि वर्तमान की केंद्र सरकार पूरी तरह फेल है. जनता यह मानती भी है लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं है. लोग मजबूत विपक्ष के इंतजार में हैं. उन्होंने आम आदमी पार्टी की भी इशारों में चर्चा की है. शरद यादव ने 2018 में नीतीश कुमार से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया था.
'स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से पार्टी को नहीं बढ़ा सके आगे'
शरद यादव ने बयान में कहा है कि अपने स्वास्थ्य की वजह से प्रयासों को काफी समय तक आगे नहीं बढ़ा सका.
उन्होंने कहा कि एक समय था जब 1989 में अकेले जनता दल के पास 143 सीटें थी. मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद जनता दल परिवार की विभिन्न सरकारों के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका रही. इसका असर भी दिखा. देश में वंचित वर्गों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में काफी उत्थान हुआ. लेकिन जैसे-जैसे जनता दल परिवार बिखरता गया, वैसे-वैसे देखा गया कि सत्ता में रहने वाली सरकारों ने संविधान प्रदत्त आरक्षण नीति के कार्यान्वयन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया.
उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार जब महागठबंधन को छोड़कर जब एनडीए में आए तो शरद यादव ने उनका साथ छोडकर अपनी खुद की एक पार्टी का गठन कर लिया था. वहीं शरद यादव की अब सेहत भी नासाज रहती है. उनसे मिलने जीतन राम मांझी व तेजस्वी यादव भी पहले जा चुके हैं.
इसके साथ ही शरद यादव के सामने एक नयी समस्या सामने आ गई है कि हाइकोर्ट ने उन्हें आवंटित सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दे दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मांग कर दी थी कि राजद की ओर से उन्हें राज्यसभा भेजा जाए.