पिता-पुत्री के संबंधों में यौन अपराध अनैतिकता की पराकाष्ठा: दिल्ली उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: December 20, 2021 21:29 IST2021-12-20T21:29:23+5:302021-12-20T21:29:23+5:30

Sexual offense in father-daughter relationship culminates in immorality: Delhi High Court | पिता-पुत्री के संबंधों में यौन अपराध अनैतिकता की पराकाष्ठा: दिल्ली उच्च न्यायालय

पिता-पुत्री के संबंधों में यौन अपराध अनैतिकता की पराकाष्ठा: दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक पिता को उसकी बेटी के यौन उत्पीड़न के लिए दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा और कहा कि पिता-पुत्री के संबंधों में यौन अपराध अनैतिकता की पराकाष्ठा है तथा इससे पूरी गंभीरता से निपटा जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने कहा कि परिवार के नजदीकी रिश्तों के साथ किए गए अपराध में ''पाप का भाव'' निहित होता है और एक मासूम बच्चे के खिलाफ की गई यौन हिंसा किसी भी मामले में घिनौना कृत्य है।

पीठ ने कहा कि पीड़िता के पिता की मिलीभगत से तथाकथित चाचा द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य, यौन उत्पीड़न से कहीं अधिक थे तथा पीड़िता के लिए आघात का कारण बने जो बहुत लंबे समय तक बरकरार रह सकता है।

अदालत ने कहा कि अभियोजन के रुख से ये स्पष्ट है कि पीड़िता के पिता ने ''जानबूझकर और इरादतन'' मामले के सह-आरोपी चाचा को पीड़िता तक पहुंच उपलब्ध करायी।

अदालत ने पिता की उम्रकैद की सजा बरकरार रखते हुए कहा, ''हमारे विचार से, यह पिता के खिलाफ भादंसं की धारा 34 (साझा इरादा) के तहत कार्रवाई के लिए पर्याप्त है और यह आवेदक ए-2 (चाचा) द्वारा किए गए सभी कृत्यों के लिए जिम्मेदार बनाता है।

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Web Title: Sexual offense in father-daughter relationship culminates in immorality: Delhi High Court

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