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यौन उत्पीड़न मामला: दिल्ली पुलिस के मामले को गाजियाबाद स्थानांतरित करने पर अदालत नाखुश

By भाषा | Updated: December 2, 2021 21:16 IST

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नयी दिल्ली, दो दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस द्वारा कथित यौन उत्पीड़न के मामले में ‘जीरो’ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद इसे जांच के लिए गाजियाबाद स्थानांतरित करने पर अप्रसन्नता व्यक्त की है। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि नागरिकों की जिंदगी और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बने संस्थान अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर थोपने में जल्दबाजी दिखाते है जो आम नागरिकों के विश्वास को कमजोर करता है।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि चूंकि कथित यौन उत्पीड़न की घटनाओं में से एक पूर्वी दिल्ली में जीटीबी एन्क्लेव पुलिस थाने के आसपास हुई थी, इसलिए यही आधार राष्ट्रीय राजधानी में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पर्याप्त था और निर्देश दिया कि जांच उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस थाने से वापस ली जाए।

न्यायाधीश ने 30 नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘इस अदालत को यह दुर्भाग्यपूर्ण लगता है कि संस्थाएं जो आम नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने वाली हैं, वे अपनी जिम्मेदारियों से जल्दी भाग जाती हैं जो आम नागरिकों के विश्वास को कमजोर करता है।’’

अदालत यौन उत्पीड़न पीड़िता द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें जीटीबी एन्क्लेव पुलिस थाने द्वारा उसकी शिकायत की जांच करने और इंदिरापुरम पुलिस थाने से मामला वापस लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि दिल्ली पुलिस ने नियमित प्राथमिकी के बजाय उसकी शिकायत के आधार पर एक ‘जीरो’ प्राथमिकी दर्ज की और जांच उत्तर प्रदेश पुलिस को स्थानांतरित कर दी।

एक पुलिस थाने द्वारा उस समय ‘जीरो’ प्राथमिकी दर्ज की जाती है जब कथित अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं होता है और बाद में इसे उस पुलिस थाने में स्थानांतरित कर दिया जाता है जहां कथित अपराध हुआ होता है।

अभियोजन पक्ष ने इस आधार पर जीरो प्राथमिकी का बचाव किया कि उसकी चिकित्सा जांच के दौरान, याचिकाकर्ता ने सूचित किया था कि यौन उत्पीड़न की अंतिम घटना कथित तौर पर इंदिरापुरम में हुई थी।

उसने कहा कि याचिकाकर्ता ने जीटीबी एन्क्लेव पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र में कोई विशिष्ट पता या किसी स्थान की पहचान नहीं की, जहां कथित यौन उत्पीड़न की घटना हुई थी या कथित घटना की कोई तारीख या समय निर्दिष्ट नहीं किया था।

अदालत ने कहा कि यह देखा गया कि एक नियमित प्राथमिकी दर्ज करने में विफल रहने पर कीमती समय खराब होता है, जिसका उपयोग जांच करने में किया जा सकता है, और इसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो सकते हैं।

न्यायाधीश ने कहा कि जीटीबी एन्क्लेव पुलिस थाने के आसपास की घटनाओं में से एक घटना का सामने आना ही प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पर्याप्त है।

अदालत ने आदेश दिया कि जीटीबी एन्क्लेव पुलिस थाने द्वारा एक नियमित प्राथमिकी दर्ज की जाए और गाजियाबाद पुलिस के बजाय दिल्ली पुलिस द्वारा तदनुसार जांच की जाए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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