स्वयंघोषित शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद तुरंत माफी मांगे, अन्यथा छत्तीसगढ़ में प्रवेश प्रतिबंधितः प्रेमासाई महाराज

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 12, 2025 18:45 IST2025-02-12T18:44:22+5:302025-02-12T18:45:17+5:30

शंकराचार्य धर्म के चार प्रमुख स्तंभ हैं, जिनका मुख्य कार्य धर्म की रक्षा करना, धर्म का प्रचार-प्रसार करना और धर्म योद्धाओं को संरक्षण प्रदान करना है।

Self-proclaimed Shankaracharya Avimukteshwaranand should immediately apologize otherwise entry Chhattisgarh will be banned Dr Shri Premasai Maharaj | स्वयंघोषित शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद तुरंत माफी मांगे, अन्यथा छत्तीसगढ़ में प्रवेश प्रतिबंधितः प्रेमासाई महाराज

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Highlightsयह पद अत्यंत गरिमामय और पवित्र माना जाता है। सनातन धर्म के प्रति असंवेदनशीलता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

नई दिल्लीः सनातन धर्म की रक्षा और उत्थान के लिए सदियों से शंकराचार्य पद की स्थापना की गई है। यह पद उन संतों के लिए है, जो धर्म के सिद्धांतों का पालन करते हुए सत्य और अध्यात्म का मार्ग दिखाते हैं, धर्म योद्धाओं को आशीर्वाद देते हैं और सनातन धर्म के अनुयायियों का मार्गदर्शन करते हैं। सनातन धर्म के चार प्रधान है, शंकराचार्य धर्म के चार प्रमुख स्तंभ हैं, जिनका मुख्य कार्य धर्म की रक्षा करना, धर्म का प्रचार-प्रसार करना और धर्म योद्धाओं को संरक्षण प्रदान करना है। यह पद अत्यंत गरिमामय और पवित्र माना जाता है।

लेकिन स्वयंघोषित शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का आचरण और वक्तव्य सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों और परंपराओं के विपरीत है। उन्होंने बार-बार अपने बयानों और कार्यों से धर्म योद्धाओं और सनातन धर्म के आयोजनों का अपमान किया है। उनके बयानों में क्रोध, अहंकार और सनातन धर्म के प्रति असंवेदनशीलता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

अविमुक्तेश्वरानंद का व्यवहार अक्सर धर्म विरोधी और अपमानजनक रहा है। उन्होंने कई अवसरों पर सनातन धर्म के हितों के खिलाफ टिप्पणियां की हैं, जिससे सनातन धर्म की छवि को गहरा नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा, उनके अनुयायी भी भ्रामक प्रचार करके धर्म की छवि को धूमिल करने का कार्य कर रहे हैं।

मैं अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य के रूप में स्वीकार नहीं करता और न ही उनका सम्मान करता हूं। मैं केवल उस सिंहासन का सम्मान करता हूं, जिस पर वे जबरन विराजमान हैं। यह कामना करता हूं कि शीघ्र ही कोई योग्य धर्म योद्धा इस सिंहासन को सुशोभित करें, ताकि सनातन धर्म की रक्षा और उत्थान हो सके।

हम यह स्पष्ट रूप से कहते हैं कि अविमुक्तेश्वर तुरंत सभी प्रमुख अखाड़ों, अन्य शंकराचार्यों और योगी आदित्यनाथ जी से माफी मांगें। अविमुक्तेश्वरानंद बोहोत क्रोधी है इस संतो को मातृ ऋधई होणा चाहिये ना की क्रोधी. यदि उन्होंने शीघ्र माफी नहीं मांगी, तो छत्तीसगढ़ में उनका प्रवेश पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगा। छत्तीसगढ़ की भूमि पर ऐसे किसी भी व्यक्ति का स्वागत नहीं होगा, जो धर्म की पवित्रता को ठेस पहुंचाए।

धर्म की जय हो। सनातन धर्म की रक्षा हो।

 डॉ. श्री. प्रेमासाई महाराज
 विठाधीश्वर माँ मातंगी दिव्यधाम, छत्तीसगड
 संस्थापक: हिंदू राष्ट्र संघ, भारत

Web Title: Self-proclaimed Shankaracharya Avimukteshwaranand should immediately apologize otherwise entry Chhattisgarh will be banned Dr Shri Premasai Maharaj

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